आवक घटने के बाद जीरे में क्यों नहीं बन रही है तेजी, जाने क्या है इसकी वजह

आवक घटने के बाद जीरे में क्यों नहीं बन रही है तेजी
आवक घटने के बाद जीरे में क्यों नहीं बन रही है तेजी

वर्तमान में, किसान साथियों के साथ देश भर में जीरा व्यापारियों और स्टॉकिस्ट चिंतित दिख रहे हैं। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, जीरा के थोक मूल्य में कमी के बावजूद, इसका दाम लगातार घट रहा है जिससे व्यापारी परेशान हैं। मानसून सीजन के कारण यह स्थिति जल्दी सुधरने की उम्मीद नहीं है। व्यापारियों का कहना है कि बिक्री में कमजोरी और ऊंझा से आ रही मंदी के समाचारों के कारण बाजार की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। वर्तमान में स्थानीय थोक जीरा बाजार में कीमत 700-1000 रुपये गिरकर 30/31 हजार रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गई है। यह एक चिंताजनक स्थिति है, जिसे जल्द से जल्द सुधारा जाना चाहिए।

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ऊंझा मंडी में जीरे की आवक में गिरावट के कारण किसानों ने बिक्री सीमित कर दी है। इसके परिणामस्वरूप, जीरे की बोरियों की संख्या मंडी में कम हो गई है। इसके बावजूद, ऊंझा में जीरे की कीमत में कमी आई है। वर्तमान में, जीरे की कीमत 25-50 रुपये प्रति 20 किलोग्राम हो गई है, जबकि पिछले 10 दिनों में यह 300-325 रुपये प्रति 20 किलोग्राम थी। यह गिरावट जीरे की बिक्री में उत्पन्न हुई है।

ऊंझा के एक अन्य व्यापारी जतिन पटेल ने बताया कि मंदी के बावजूद जीरे की बिक्री काफी कमजोर हो गई है। वह बता रहे हैं कि मांग की स्थिति बहुत खराब है, स्थानीय स्टॉकिस्ट या बाहरी खरीदार दोनों माल मांग नहीं कर रहे हैं। निर्यातकों की मांग भी केवल बांग्लादेश तक सीमित है। इस तरह की स्थिति में, जीरे की थोक कीमत को सहारा मिलना मुश्किल हो रहा है।

जतिन पटेल ने बताया कि जून के अंत में चीन द्वारा 100 कंटेनर की खरीद के बाद से कोई अन्य आयातक देश से मांग नहीं आई है। दीक्षित पटेल ने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून सक्रिय है, हालांकि कुछ राज्यों में बाढ़ के कारण हालात खराब हैं। इस परिस्थिति के कारण, जीरे की मांग कम नहीं हो रही है।

व्यापारियों ने आगे कहा कि उत्तरी और पश्चिमी भारत में हाल ही में मानसून का आगमन हुआ है, लेकिन चार महीने की अवधि वाले चौमासे का अभी केवल एक महीना बीता है। अभी तीन महीने और बाकी हैं, जिससे जीरे के व्यापारियों और स्टॉकिस्टों की चिंता और बढ़ जाती है। मसाला बोर्ड के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2024-25 के आरंभिक महीने यानी अप्रैल 2024 में जीरे का कुल 39,182.42 टन निर्यात हुआ, जिससे 1002.80 करोड़ रुपये की आय हुई।

एक वर्ष पूर्व के इसी महीने में देश से 511.30 करोड़ रुपये मूल्य के 17,084.88 टन जीरे का निर्यात हुआ था। इससे पता चलता है कि इस बार मात्रा के आधार पर जीरे के निर्यात में 129 प्रतिशत और आय के आधार पर 96 प्रतिशत का उछाल आया है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे।

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