झारखंड के क्लेश नायक ने मछली पालन करके बनाए बड़ी पहचान, बदलती 1000 से ज्यादा लोगों की जिंदगी

क्लेश नायक ने साल 2013 में मछली पालन की शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि उनका परिवार गेतलसूद डैम के निर्माण के दौरान विस्थापित हो गया था। डैम के निर्माण के प्रक्रिया में उनकी पूरी जमीन चली गई। उसके बाद से क्लेश नायक का मुख्य ध्यान मछली पालन करने पर रहा है।

झारखंड के क्लेश नायक ने मछली पालन करके बनाए बड़ी पहचान, बदलती 1000 से ज्यादा लोगों की जिंदगी
झारखंड के क्लेश नायक ने मछली पालन करके बनाए बड़ी पहचान, बदलती 1000 से ज्यादा लोगों की जिंदगी

झारखंड में मछली पालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ रहा है। इस सफलता में झारखंड के युवा किसानों का महत्वपूर्ण योगदान है। रांची के अनगड़ा प्रखंड जिले में मछली पालन का विकास हो रहा है। यहां के गेतलसूद डैम में मछली पालन एक बड़ी प्रमुखता है। क्लेश नायक, एक युवा मत्स्य पालक किसान, इस क्षेत्र में अपनी मेहनत और प्रयासों से मछली पालन को बढ़ावा दिया है। उन्होंने गेतलसूद डैम में मछली पालन के साथ-साथ अपने गांव के लोगों को भी जोड़ा है और आज 400 परिवार सफलता की ओर बढ़ रहे हैं।

क्लेश नायक ने 2013 में इसकी शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि उनका परिवार गेतलसूद डैम निर्माण के दौरान विस्थापित हुआ था। डैम के निर्माण में उनकी पूरी जमीन चली गई। इसके बाद से उनका पुश्तैनी काम मछली पालन करना ही रहा है। इसके बाद, उन्होंने इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। क्लेश ने बताया कि पहले ही डैम में मछली पालन के लिए एक समिति का गठन किया गया था, लेकिन 2013 तक वह समिति पूरी तरह से नष्ट हो चुकी थी। क्लेश फिर से उस समिति को जीवंत करने के लिए प्रयास किया। उन्होंने अपने चार दोस्तों को एकजुट किया और मछली पालन को आगे बढ़ाने की सोची।

विभाग से मिली मदद

क्लेश नायक बताते हैं कि एक वक्त ऐसा भी था जब डैम में मछली मारने के लिए कंपीटिशन शुरू हो गया। चिंता इसलिए बढ़ गई कि अगर डैम में मछली उत्पादन नहीं बढ़ा तो लोगों को पकड़ने के लिए पर्याप्त मछली नहीं मिलेगी। तब जाकर उन्होंने समिति को फिर से शुरू किया। नए लोग जोड़े और सरकारी योजनाओं का लाभ लेना शुरू किया। पहली बार 2016 में उन्हें विभाग की तरफ से 12 केज मिला। इस तरह से क्लेश नायक की अगुवाई में यहां पर आधुनिक तरीके से मछली पालन शुरू किया गया। शुरुआत होने के साथ ही नए लोग उनसे जुड़ने लगे।

500 केज में करतें हैं मछली पालन

महेशपुर मत्स्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड के सचिव के रूप में क्लेश नायक रांची स्थित हैं। उनके संग अब 200 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। यहां डैम में पारंपरिक ही नहीं, आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें केज कल्चर और पैन कल्चर शामिल हैं। क्लेश नायक ने अपने प्रयासों से कई सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठाया है। उन्होंने 12 केज से शुरुआत की थी, लेकिन आज उनके पास 500 केज हैं। विभाग की तरफ से दो मोटर बोट और 8 पारंपरिक लकड़ी के नाव भी मिले हैं। सालाना डैम में स्टॉकिंग की जाती है, जिससे स्थानीय लोग डैम से मछली पकड़कर अपनी आजीविका चलाते हैं।

200 टन मछली का करते हैं उत्पादन

क्लेश नायक ने बताया कि उनकी और समिति के सभी सदस्यों की उच्च आय भी होती है, क्योंकि प्रतिवर्ष उन्होंने 200 टन मछलियों का उत्पादन किया है, जिसे स्थानीय बाजार के अलावा बिहार में भी बेचा जाता है। उन्हें विभाग की तरफ से बीज और फीड पर सब्सिडी भी मिलती है, जिससे उन्हें लाभ होता है। उनकी मेहनत और सफलता के लिए विभाग ने उन्हें अलग-अलग पुरस्कारों से सम्मानित भी किया है। क्लेश नायक और समिति के सदस्य तिलापिया और पंगास मछली को जीवित रखने के लिए केज कल्चर में लगातार काम कर रहे हैं, जबकि डैम में इंडियन मेजर कार्प प्रजाति की मछलियों का पालन किया जाता है।

सामाजिक स्थिति में हुआ सुधार

क्लेश नायक ने अपने गांव के लोगों की स्थिति में बदलाव लाने के लिए कठिन प्रयास किए हैं। 20 साल पहले, लोगों को जरूरत पड़ने पर भी एक-दो हजार रुपये नहीं मिल पाते थे और बीमार होने पर उन्हें उचित इलाज के लिए पैसे नहीं मिलते थे। इसके साथ ही, उनके बच्चों को भी अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही थी। लेकिन अब स्थिति में सुधार हुआ है। सभी बच्चे अब अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और लोग शादी ब्याह में अच्छे से खर्च कर रहे हैं। आजकल, अगर कोई बीमार पड़ता है तो समिति द्वारा 50 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसी तरह, मछली पालन के लिए डैम के किनारे रहने वाले 1000 से अधिक लोगों के जीवन में भी सुधार देखा जा सकता है। इसके पीछे क्लेश नायक का अथक प्रयास है।

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