Gehun Bhav future : वैश्विक स्तर पर गेहूं का सबसे अधिक उत्पादन रूस और यूक्रेन में होता है, लेकिन दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध के कारण गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके कारण वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न संकट उत्पन्न हुआ है। जब युद्ध की शुरुआत हुई थी, तब भारत से गेहूं का निर्यात हो रहा था, लेकिन इसके बाद गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लग गया है। हालांकि, गेहूं के भाव को नियंत्रित करने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने कदम उठाए हैं। इसके बावजूद, गेहूं के भाव में बढ़ोतरी हुई है।
गेहूं के वर्तमान में भाव
वर्तमान में मंडी में गेहूं का औसत भाव 2400 से 3200 रुपए प्रति क्विंटल तक है। बाजार में खेती भाव के अनुसार गेहूं की औसत कीमत 30.99 रुपए प्रति किलोग्राम यानी 3099 रुपए प्रति क्विंटल के करीब है। पिछले एक वर्ष के दौरान गेहूं के भाव में दो रुपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष गवर्नमेंट ने गेहूं की खरीद में भाव औसत 28.95 रुपए प्रति किलोग्राम यानी 2895 रुपए प्रति क्विंटल तय किया था।
इस वर्ष, आटे की कीमत प्रति किलो 34.29 रुपए से बढ़कर 36.13 रुपए हो गई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले गेहूं के भाव के अनुसार गेहूं और आटे की कीमतें भी 2 रुपए प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई हैं। 30 जून तक गेहूं की औसत खुदरा कीमत 30.99 रुपए प्रति किलोग्राम थी, जो एक साल पहले 28.95 रुपए थी। गेहूं के आटे की कीमतें भी पिछले साल के 34.29 रुपए प्रति किलोग्राम के मुकाबले बढ़कर 36.13 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई हैं।
गेहूं के इन सभी किस्म के भाव अधिक है
चपाती बनाने में प्रयुक्त होने वाली गेहूं की किस्म के भाव अधिक हैं। मंडी में गाजर और गेहूं के भाव 2400 से 2900 रुपए प्रति क्विंटल तक हैं।। मंडी में प्रमुख रूप से लोकवन, पुर्णा, शरबती, पूसा अहिल्या 1634, GW 513 सहित कुछ अन्य वैरियटयों के दाम 2700 से 3200 रुपए प्रति क्विंटल तक है। : Gehun Bhav future
इस वर्ष 1.5 प्रतिशत गेहूं खरीदे गए
गेहूं की खरीद का मार्केटिंग सीजन अब समाप्त हो चुका है। इस बार केंद्रीय पूल के लिए 266 लाख टन गेहूं खरीदा गया था, जो पिछले साल से 4 लाख टन या 1.5 प्रतिशत ज्यादा रहा। 1 जुलाई को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास 297.60 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद था, जो तय न्यूनतम आवश्यक मात्रा 275.80 लाख टन से अधिक है। गेहूं की खरीद का सीजन 30 जून को समाप्त हो गया है।
मध्य प्रदेश में सरकारी खरीद कम हुई
मध्य प्रदेश में केवल 47.10 लाख टन गेहूं खरीदी गई है, जो 80 लाख टन के निर्धारित लक्ष्य से काफी कम है। पंजाब में पांच एजेंसियों ने केन्द्रीय पूल के लिए 124.60 लाख टन गेहूं खरीदा है, जो कि 130 लाख टन के निर्धारित लक्ष्य से थोड़ा पीछे है। हरियाणा में 80 लाख टन के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 71.50 लाख टन गेहूं खरीदी गई है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी लक्ष्य से काफी कम गेहूं खरीदा गया है।
31 मार्च 2025 तक गेंहू पर स्टॉक -लिमिट लगी
इस वर्ष चालू वर्ष में देश में लगभग 21 लाख किसानों से 266 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है। पिछले मार्केटिंग सीजन में, 28 जून से 28 फरवरी के दौरान खुले बाजार बिक्री योजना के तहत सरकार द्वारा लगभग 100 लाख टन गेहूं बेचे गए हैं, लेकिन इससे कीमतों में कोई अच्छी उछाल नहीं हुई। यदि इस वर्ष गेहूं की कीमतों में तेजी आती है, तो सरकार खुले बाजार में बिक्री शुरू कर सकती है।
केंद्र सरकार ने गेहूं के भाव को नियंत्रित करने और जमाखोरी को रोकने के लिए गेहूं पर स्टॉक होल्डिंग लिमिट लगा दी है। यह नियम सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ट्रेडर्स, होलसेलर्स, रिटेलर्स, बड़े चेन रिटेलर्स और प्रोसेसर्स पर लागू होगी। इस आदेश का प्रभाव 31 मार्च 2025 तक रहेगा।गेहूं के औसत भाव : जुलाई 2024 से फरवरी 2025 तक
सरकार ने नए मापदंडों के अनुसार होलसेलर्स के लिए स्टॉक सीमा को 3,000 टन निर्धारित किया है, जबकि प्रोसेसर के लिए यह प्रोसेसिंग कैपेसिटी का 70% होगा। बिग चेन रिटेलर्स के लिए आउटलेट प्रति 10 टन की सीमा होगी, जिसकी कुल सीमा 3,000 टन होगी। सिंगल रिटेलर्स के लिए यह सीमा 10 टन होगी।
जुलाई 2024 से फरवरी 2025 तक गेहूं के औसत भाव
गेहूं के भाव के यह मूल्य पूर्वानुमान जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 20 वर्षों की सांख्यिकी अध्ययन के आधार पर तैयार किया गया है। बाजार में विभिन्न कारकों के कारण वास्तविक बाजार मूल्य और पूर्वानुमान में अंतर संभावित है।
किसानों को सलाह दी जाती है कि कृषि बाजार में जिंसों की बिक्री हेतु Gehun Bhav future के साथ अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग जरूर करें। यह पूर्वानुमान गेहूं की गुणवत्ता पर आधारित होता है। जुलाई 2024 से फरवरी 2025 तक गेहूं के भाव के मान्यता प्राप्त होने की संभावना है।
- जुलाई 2024 – 2504 रु. प्रति क्विंटल।
- अगस्त 2024 – 2541रु. प्रति क्विंटल।
- सितम्बर 2024 – 2564 रु. प्रति क्विंटल।
- अक्टूबर 2024 – 2570 रु. प्रति क्विंटल।
- नवम्बर 2024 – 2633 रु. प्रति क्विंटल।
- दिसम्बर 2024 – 2613 रु. प्रति क्विंटल।
- जनवरी 2025 – 2660 रु. प्रति क्विंटल।
- फरवरी 2025 – 2624 रु. प्रति क्विंटल।
आपके द्वारा दिए गए प्रोम्प्ट के अनुसार, सरकार के पास प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतों को पूरा करने और बाजार में प्रभावी ढंग से हस्तक्षेप करने के लिए पर्याप्त मात्रा में गेहूं का स्टॉक उपलब्ध है। गरीब कालीन योजना के तहत वार्षिक रूप से लगभग 184 लाख टन गेहूं की आपूर्ति की जरूरत पड़ती है।
चालू वर्ष में देश में लगभग 21 लाख किसानों से 266 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है। पिछले मार्केटिंग सीजन में, 28 जून से 28 फरवरी के दौरान खुले बाजार बिक्री योजना के तहत सरकार द्वारा लगभग 100 लाख टन गेहूं बेचे गए हैं, लेकिन इससे कीमतों में कोई अच्छी उछाल नहीं हुई। यदि इस वर्ष गेहूं की कीमतों में तेजी आती है, तो सरकार खुले बाजार में बिक्री शुरू कर सकती है।
गेहूं के भाव को लेकर सरकार द्वारा रणनीति गठित
गेहूं के भाव को लेकर सरकार की यह रणनीति उचितता और सामरिकता के साथ गठित की गई है। यदि गेहूं की कीमतों में तेजी आती है, तो सरकार खुले बाजार में बिक्री को बढ़ावा दे सकती है। इससे किसानों को अधिक मूल्य प्राप्त हो सकता है और भारतीय गेहूं के निर्यात में वृद्धि हो सकती है। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य और खुले बाजार के मध्यस्थता के माध्यम से गेहूं के भाव को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है ताकि किसानों को संघर्ष मुक्त बाजार मिल सके। इससे कृषि उत्पादों की सुरक्षा और देश की आर्थिक स्थिरता में सुधार हो सकता है।
चालू वर्ष के दौरान देश ने लगभग 21 लाख किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 266 लाख टन गेहूं खरीदी है। पिछले मार्केटिंग सीजन में, 28 जून से 28 फरवरी तक, सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत लगभग 100 लाख टन गेहूं बेचा, जिससे कीमतों में तेज उछाल नहीं आई। इस वर्ष भी, यदि गेहूं की कीमतों में तेजी आती है, तो सरकार खुले बाजार में बिक्री शुरू करेगी।