किसान अपनी फसलों पर लगने वाले रोगों के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए फसलों के अस्पताल में जा सकते हैं। वहां फसलों पर लगने वाले रोगों और उनके समाधान के बारे में बताया जाएगा।
फसलों में लगने वाली रोग बीमारियां
फसलों में विभिन्न प्रकार के रोग बीमारियां लग जाती हैं। जिससे किसानों को नुकसान होता है। लेकिन अगर समय पर किसान अपनी फसल का इलाज कर देते हैं, यानी की कीटनाशक खाद आदि का छिड़काव कर देते हैं तो उन्हें अच्छी पैदावार मिल जाती है और उस बीमारी पर किसान काबू पा लेते हैं। लेकिन इसके बारे में किसानों को पता होना चाहिए की फसल में कौन सी बीमारी लगी है और उसका सही समाधान क्या है। इससे लागत भी कम हो जाती है।
अगर किसानों को सही जानकारी नहीं होती तो वह विभिन्न प्रकार के दवाई कीटनाशक का छिड़काव करते हैं। जिसके बाद उन्हें समस्या का समाधान मिलता है। लेकिन यहां पर फसल का अस्पताल बनाया जाएगा। जिससे फसल में कौन सी बीमारी लगी है और उसका क्या समाधान है इसके बारे में बताया जाएगा। तो चलिए आपको बताते हैं किन 20 जिलों में फसलों के अस्पताल बनाए जाएंगे।
इन 20 जिलों में बनेंगे फसलों के अस्पताल
फसलों की बीमारियों का पता लगाने के लिए हाइटेक लैब बनाए जाते हैं। इन लैब में फसलों की जांच होती है। जिससे उनमें लगने वाले रोग बीमारी का पता चल जाता है और सही समाधान भी फिर किया जा सकता है। जिसमें राजस्थान के 20 जिलों में अब हाईटेक लैब बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें सरकार करोड़ों रुपए खर्च करेगी तो चलिए सबसे पहले यह जान लेते हैं कि यह 20 जिले कौन से हैं और फिर आने वाली लागत के बारे में जानेंगे।
जिसमें राजस्थान के सीकर, झुंझुनू, चूरू, भीलवाड़ा, करौली, जयपुर, अजमेर,दौसा, टोंक, बीकानेर, पाली, श्रीगंगानगर, उदयपुर, हनुमानगढ़, अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, जोधपुर, कोटा और धौलपुर आदि जिलों में हाइटेक लैब बनाया जा रहा है।
21 करोड़ की लागत
किसानों के लिए सरकार विभिन्न प्रकार की सरकारी योजना चलाई रही है। साथ ही साथ उन्हें कृषि यंत्र, खेती के लिए खाद-बीज आदि पर भी सब्सिडी देती है। इसके साथ ही अब किसानों के लिए हाइटेक लैब भी बनाए जाएंगे। जिस पर सरकार 21 करोड रुपए खर्च करेगी। आपको बता दे कि यह एक तरह से एग्री क्लीनिक होंगे। एक एग्री क्लीनिक बनाने के लिए 11 लख रुपए की लागत आएगी।
इसमें लैब टेक्नीशियन और कृषि विशेषज्ञ होंगे, जो कि किसानों की समस्याओं का समाधान करेंगे। यहां पर एलोपैथी लैब होगा जिसमें पैथोलॉजिस्ट, कीट रोग विज्ञानी रोग आदि के बारे में जानकारी दी जाएगी। जिसमें किसानों को बताया जाएगा कि उनकी फसल में कौन सा रोग लगा है और उसके लिए किसान क्या उपाय करें, कौन-सी दवा डालें। किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है और खेती से होने वाली आमदनी भी बढ़ेगी।