मार्केट में आ गई है नकली सरसों | किसान और व्यापारी हो जाएं सावधान

मार्केट में आ गई है नकली सरसों
मार्केट में आ गई है नकली सरसों

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां कृषि क्षेत्र हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। हाल के वर्षों में, कृषि उत्पादों में मिलावट और नकली सामान की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। ये पता करना भी बहुत मुश्किल है कि क्या नकली है और क्या सही/असली | सब जगह सिर्फ मिलावट ही देखने को मिलती है अभी हाल ही में जयपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, खीरे के बीजों के बाद अब नकली सरसों भी बाजार में दस्तक दे चुकी है, जो किसानों और व्यापारियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन सकती है

इस तरह की होती है नकली सरसों

नकली सरसों का मतलब है ऐसी सरसों के बीज जो असली नहीं होते। ये बीज आमतौर पर अन्य सस्ती और कम मूल्यवान फसलों के बीजों को सरसों के बीज के रूप में बेचने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा, कई बार बीजों में मिलावट की जाती है, जिससे उनका उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित होती है। इस प्रकार की मिलावट न केवल कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को गिराती है, बल्कि किसानों के लिए भी आर्थिक नुकसान का कारण बनती है।

जयपुर में एक व्यापारी ने सरसों की खेप मंगवाई, लेकिन जब उसने इसकी जांच की तो पता चला कि यह सरसों असली नहीं बल्कि मिट्टी और सीमेंट के दानों पर पॉलिश की हुई नकली सरसों थी। यह नकली सरसों मिलावटखोरों द्वारा इतनी चालाकी से तैयार की गई थी कि यह हूबहू असली सरसों के जैसी दिखाई दे रही थी।

व्यापारी ने जब सरसों को फर्म को वापस लौटाया, तो फर्म ने उसे चार लाख रुपये लौटाए, जबकि सौदा 15 लाख रुपये का हुआ था। व्यापारी ने जब बाकी की रकम अदा करने की बा की, तो फर्म ने मना कर दिया। तब व्यापारी ने मामला न्यायालय में ले जाने का निर्णय लिया। यह घटना न केवल व्यापारी के लिए बल्कि पूरे कृषि व्यापार के लिए एक चेतावनी बन गई
है। भरतपुर और समीपी जिलों की मंडियों में भी इसी प्रकार के नकली सरसों के मामले सामने आ चुके हैं।

इस तरह की होती है मिलावट

जांच के दौरान पाया गया कि जब नकली सरसों को पानी में डाला जाता है, तो यह आसानी से घुल जाती है। विशेषज्ञों ने बताया कि सरसों भले ही नकली हो. परंतु इसमें तेल की मात्रा 41-42% होती है। तेल की मात्रा अधिक होने के कारण यह लैब में आसानी से पकड़ी नहीं जाती है। यह मिलावटखोरी की एक नई परत को उजागर करता है, जो कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का कारण बन सकती है।

इस प्रकार से खाद्य उत्पादों में की गई मिलावट न केवल व्यापारियों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनती है, बल्कि किसानों की किए गए काम पर भी पानी फेरती है। यदि उचित तरीकों से इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो यह किसानों के विश्वास को तोड़ने का काम कर सकती है।

सरकार और कृषि संबंधित विभागों को चाहिए कि वे इस दिशा में कड़े कदम उठाएं। कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए जांच प्रणाली को और मजबूत करें। साथ ही किसानों और व्यापारियों को इस मामले में जागरूक करने की भी आवश्यकता है ताकि वे भविष्य में धोखाधड़ी के मामलों से बच सकें।

उपभोक्ताओं के लिए भी इस विषय में सतर्क रहना आवश्यक है। नकली उत्पादों के उपयोग से न केवल स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह आर्थिक नुकसान का भी कारण बन सकता है। इसलिए जब भी वे कोई कृषि उत्पाद खरीदें, तो उसकी गुणवत्ता और प्रामाणिकता की जांच अवश्य करें।

इस प्रकार, मिलावट की समस्या को गंभीरता से लेते हुए सभी को मिलकर इसके समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने की आवश्यकता है।

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