आलू (Potato) भारत की सबसे ज्यादा बोई और खाई जाने वाली सब्जियों में से एक है। यह एक बहुउपयोगी फसल है जो सब्जी, स्नैक्स, प्रोसेस्ड फूड और चिप्स बनाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती है। आलू की खेती किसानों के लिए नकदी फसल (Cash Crop) का रूप ले चुकी है क्योंकि इसकी खपत पूरे साल बनी रहती है। भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब और मध्य प्रदेश आलू उत्पादन में अग्रणी राज्य हैं।
प्रमुख आलू किस्में – Potato Varieties
भारत में आलू की कई किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
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कुफरी आनंद – जल्दी पकने वाली किस्म, 75–90 दिन में तैयार।
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कुफरी चंद्रमुखी – उच्च पैदावार और रोग प्रतिरोधी।
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कुफरी सिंधुरी – लंबे समय तक भंडारण के लिए उपयुक्त।
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कुफरी पुखराज – टेबल और चिप्स दोनों के लिए अच्छी।
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कुफरी अशोका – जल्दी उत्पादन और अच्छे आकार के कंद।
आलू की खेती की तैयारी – Farming Practices
1. भूमि का चयन
आलू के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है, जिसका pH 5.5 से 7.5 हो।
2. बीज की तैयारी
बीज के रूप में छोटे आकार के स्वस्थ कंदों का चयन करें। रोग मुक्त और अंकुरित बीज उपयोग करें।
3. बुआई का समय
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उत्तर भारत – अक्टूबर के अंत से नवंबर के मध्य।
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दक्षिण भारत – जून-जुलाई और अक्टूबर-नवंबर।
4. बुआई की विधि
15-20 सेंटीमीटर की गहराई पर, कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेंटीमीटर रखें।
5. सिंचाई
पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद, इसके बाद हर 7-10 दिन में करें।
6. खाद एवं उर्वरक
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गोबर की सड़ी खाद: 20-25 टन/हेक्टेयर
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यूरिया: 120 किग्रा/हेक्टेयर
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डीएपी: 250 किग्रा/हेक्टेयर
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पोटाश: 150 किग्रा/हेक्टेयर
रोग एवं कीट प्रबंधन – Pest and Disease Management
रोग / कीट | लक्षण | नियंत्रण उपाय |
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झुलसा रोग (Blight) | पत्तों पर भूरे धब्बे | मेटालेक्सिल आधारित फफूंदनाशी का छिड़काव |
आलू की गाँठ रोग | कंद पर गाँठ जैसी संरचना | रोग मुक्त बीज का उपयोग |
आलू की तना मक्खी | तने में सुराख | क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव |
एफिड (Aphids) | पत्तियों का सिकुड़ना | इमिडाक्लोप्रिड का प्रयोग |
पैदावार और भंडारण – Yield and Storage
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पैदावार: अच्छी खेती में 250–300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
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भंडारण: आलू को 4–6°C तापमान और 85–90% आर्द्रता पर कोल्ड स्टोरेज में 6–8 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
आलू का मंडी भाव 2025 – Potato Price in India
2025 में आलू के भाव राज्य और मौसम के अनुसार बदलते रहते हैं। जनवरी 2025 में औसतन मंडी भाव निम्नानुसार रहे:
राज्य/जिला | न्यूनतम भाव (₹/क्विंटल) | अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) | औसत भाव (₹/क्विंटल) |
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आगरा (यूपी) | 1200 | 1600 | 1400 |
पटना (बिहार) | 1100 | 1500 | 1300 |
होशियारपुर (पंजाब) | 1300 | 1700 | 1500 |
इंदौर (मध्य प्रदेश) | 1250 | 1650 | 1450 |
बर्धमान (प. बंगाल) | 1150 | 1550 | 1350 |
नोट: यह भाव मंडियों में आवक, मौसम और स्टॉक की स्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं।
आलू का व्यापार और निर्यात
भारत से नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और मध्य पूर्व देशों में आलू का निर्यात होता है। आलू से चिप्स, फ्रेंच फ्राइज, आलू पाउडर जैसे वैल्यू-एडेड उत्पादों की मांग भी लगातार बढ़ रही है।
लागत और मुनाफा – Cost & Profit Analysis
1 हेक्टेयर आलू की खेती में औसतन ₹80,000 से ₹1,00,000 तक लागत आती है। अच्छी उपज और भाव मिलने पर ₹1,50,000 से ₹2,00,000 तक शुद्ध लाभ हो सकता है।
निष्कर्ष – Conclusion
आलू की खेती एक लाभकारी व्यवसाय है, खासकर अगर किसान सही समय पर बुआई करें, उन्नत किस्में चुनें और रोग प्रबंधन पर ध्यान दें। 2025 में आलू का भाव स्थिर रहने की संभावना है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है।