Successful farmer: देश में कुछ किसान सफेद जामुन की खेती कर रहे हैं जिसकी विशेषताओं को जानकर बहुत से लोग हैरान हो जाएँगे। किसानों का कहना है कि इसके फल पेड़ों पर दो साल में ही आने लगते हैं और पौष्टिकता के मामले में यह बहुत से फलों से आगे है। इसका गुण जामुन और सेब से मिलता है, जिसका सेवन करके कई बीमारियों से बचाव किया जा सकता है और इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है। इसकी बाजार में कीमत भी अधिक होती है।
बागवानी के क्षेत्र में लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है, खासकर हाई वैल्यू फलों की ओर। इस वजह से देश में विदेशी फलों को भी आजमाने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। यह एक रोमांचक और उपयोगी प्रयास है जो लोगों को नए और विभिन्न स्वादों का आनंद देने का माध्यम बना रहा है। स्थानीय फलों के साथ-साथ विदेशी फलों का उपयोग भी स्वास्थ्य और पौष्टिकता के लिए एक सामर्थ्यपूर्ण विकल्प प्रदान कर रहा है। यह एक प्रगतिशील और सुखद विकास है जो खाद्य सुरक्षा और पोषण के क्षेत्र में नए अवसर प्रदान कर रहा है। क्योंकि अब लोग ऐसे फलों का रुख करने लगे हैं, जिनसे कम कीमत में ज्यादा पोषण मिल सके। ऐसे में सफेद जामुन जैसा फल इसमें बिल्कुल खरा उतरता है। इस फल में भरपूर पोषण होता है और बनारस और बिहार के प्रगतिशील किसान सफेद जामुन की बागवानी कर रहे हैं। और इसकी बाजार में कीमत 300 से लेकर 500 रुपये किलो तक है। इस फल में जामुन और सेब दोनों के गुण होते हैं।
सफेद जामुन के सामने दूसरे फल फीके
गांव बवियाव, जिला वाराणसी के किसान शैलेंद्र रघुवंशी और सौरभ रघुवंशी ने सफेद जामुन की बागवानी की है। उन्होंने बताया कि इस पेड़ पर मार्च में फूल आते हैं और जून में फल तोड़ लिए जाते हैं।इस सफेद जामुन के पेड़ में मार्च के महीने से मंजर आने लगते हैं और अप्रैल के आखिर तक पेड़ों पर फल लटकने लगते हैं। मॉनसून आने से पहले ही इन फलों को तोड़ लिया जाता है। यह एक रोमांचक प्रक्रिया है जहां प्रकृति हरे-भरे जामुन के फलों को जीवंत और स्वादिष्ट बनाने के लिए तैयार हो रही है। यह फसल विभिन्न उपयोगों के लिए उपयोगी होती है, जैसे फलों का रस, जाम, शरबत, और मुरब्बा। इन फलों का आनंद लेने से पहले ही इन्हें कटा जाता है, जिससे यह फल ताजगी और पोषण से भरपूर रहता है। इस पेड़ को सौरभ रघुवंशी ने साल 2017 में बांग्लादेश से मंगवाया और इसे अपने जलवायु में ट्रायल के रूप में लगाया। तीसरे साल लगभग डेढ़ क्विंटल फल आने लगे। इसकी बाजार में कीमत 300 से लेकर 500 रुपये प्रति किलो तक है। एक पेड़ से पांच साल में तीन से चार क्विंटल फल मिलते हैं। अब इसे ग्राफ्टिंग से तैयार कर पौधे दूसरे किसानों को भी बेच रहे हैं, क्योंकि इसे देखने दूर-दूर के किसान आ रहे हैं और इसकी मांग कर रहे हैं।
बिहार में भी उग रहा ये पौष्टिक फल
रविकांत पांडे जैसे प्रगतिशील युवा किसान बिहार के मझवरिया गांव में सफेद जामुन की बागवानी कर रहे हैं जो कि बनारस के अलावा दूसरे इलाकों में भी होती है। मार्च के महीने से इन पेड़ों में मनोहर फूल आने लगते हैं जबकि अप्रैल के आखिरी तक इन पेड़ों पर सफेद जामुन के फल लटकने लगते हैं जो कि मॉनसून आने से पहले ही तोड़ लिए जाते हैं। रविकांत ने इस सफेद जामुन के फल के बहुत सारे फायदे बताए हैं और बताया है कि इस फल में जामुन और सेब दोनों के गुण होते हैं।
रविकांत ने बताया कि सफेद जामुन को गर्म इलाकों का सेब भी कहा जा सकता है क्योंकि सेब की बागवानी पहाड़ों पर होती है। हालांकि, इस फल की खेती मैदानी इलाकों में करके आम और अमरूद से ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सफेद जामुन एक विशेष फल है जो औषधि के रूप में भी जाना जाता है।
बागवानी में कमाई का नया अवसर
सफेद जामुन के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र पश्चिम चंपारण के हेड डॉ. आर. पी. सिंह से ली गई जानकारी के अनुसार, यह एक उष्णकटिबंधीय पेड़ है। इसके फल घंटी की आकृति के होते हैं और इन्हें रोज़ एप्पल, जावा एप्पल, जाम्बू और मलय एप्पल के नाम से भी जाना जाता है। यह फल दक्षिण-पूर्वी देशों जैसे मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस और श्रीलंका के अलावा भारत में भी पाया जाता है। अब इसके पौधे भारत के कुछ राज्यों में किसानों द्वारा भी लगाए जाने लगे हैं। यह फल पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है।
2 साल के अंदर-अंदर इन फलों और फूलों से मिलते हैं बहुत अच्छे दाम
रविकांत ने बताया कि सफेद जामुन के पौधों में 2 साल के बाद फल लगना शुरू हो जाता है और 3-4 साल बाद पौधा पूरी तरह से फल देना शुरू करता है। इसके फूल मार्च से अप्रैल तक आते हैं और मई-जुलाई में फल लगते हैं। एक पौधा 5 साल बाद तीन क्विंटल तक फल दे सकता है। सफेद जामुन का बाजार मूल्य प्रति किलो 100 रुपये से अधिक होता है, जिसमें एक पौधा लगभग ₹20000 से लेकर ₹30000 तक की आमदनी दे सकता है उचित देखभाल और तकनीक परिवर्तन के कारण से सफेद जामुन की खेती एक लाभदायक व्यावसायिक हो सकती है और इससे मधुमेह के रोगियों को भी फायदा पहुंचता है। सफेद जामुन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायता करता है और नियासिन गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाता है जो हानिकारक ट्राइग्लिसराइड, बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में कारगर होता है। साथ ही इसमें कैलोरी कम और फाइबर ज्यादा होता है, जिससे इसके सेवन से वजन कम होता है।