Kele Ki Kheti aur Bhav
केला (Banana) भारत का एक प्रमुख फल है, जो पूरे वर्ष उपलब्ध रहता है और किसानों के लिए नकदी फसल (Cash Crop) के रूप में अत्यंत लाभकारी है। केले की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर होती है। केले के उत्पादन में भारत विश्व में पहले स्थान पर है और यह घरेलू खपत के साथ-साथ निर्यात में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
केले की प्रमुख किस्में – Popular Varieties of Banana
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ग्रैंड नाइन (Grand Naine) – सबसे लोकप्रिय किस्म, ऊँची पैदावार और निर्यात के लिए उपयुक्त।
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रोबस्टा (Robusta) – स्वादिष्ट फल, लंबे समय तक टिकने वाली किस्म।
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भूत बंगला (Bhut Bangla) – कम पानी में उगने वाली स्थानीय किस्म।
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द्वार्फ कैवेंडिश (Dwarf Cavendish) – छोटे पौधे, तेज़ पैदावार।
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राजेली और पवन – कुछ क्षेत्रों में लोकप्रिय पारंपरिक किस्में।
भूमि और जलवायु – Soil and Climate
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केला गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह उगता है।
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15°C से 35°C तापमान उपयुक्त है।
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अच्छी जल निकासी वाली बलुई-दोमट या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
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मिट्टी का pH 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
खेती की तैयारी – Field Preparation
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खेत की गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाया जाता है।
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गोबर की खाद या जैविक खाद 25-30 टन प्रति हेक्टेयर खेत में डालनी चाहिए।
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कंद लगाने से पहले खेत को कीटाणुनाशक से उपचारित करना आवश्यक है।
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ड्रिप सिंचाई से पानी और खाद दोनों की बचत होती है और पैदावार बढ़ती है।
पौधरोपण और सिंचाई – Planting and Irrigation
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रोपाई का समय: जून-जुलाई (बरसात) और फरवरी-मार्च (सिंचित क्षेत्र)।
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पौधों की दूरी 1.5 मीटर × 1.5 मीटर रखनी चाहिए।
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रोपाई के बाद नियमित सिंचाई आवश्यक है – गर्मियों में हर 5-7 दिन और सर्दियों में हर 10-12 दिन पर।
उर्वरक प्रबंधन – Fertilizer Management
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नाइट्रोजन (N): 200-250 किलोग्राम/हेक्टेयर
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फास्फोरस (P): 60-70 किलोग्राम/हेक्टेयर
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पोटाश (K): 200-250 किलोग्राम/हेक्टेयर
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सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरोन और मैग्नीशियम भी आवश्यक मात्रा में डालना चाहिए।
रोग और कीट प्रबंधन – Disease and Pest Management
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पनामा विल्ट रोग – रोगग्रस्त पौधों को तुरंत नष्ट करें।
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सिगाटोका पत्ती धब्बा – कार्बेन्डाजिम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव।
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थ्रिप्स और एफिड्स – कीटनाशक का समय पर छिड़काव।
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खेत की निराई-गुड़ाई और जैविक कीटनाशक का प्रयोग भी लाभकारी है।
पैदावार और कटाई – Yield and Harvesting
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केले की फसल 12-14 महीने में तैयार हो जाती है।
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औसत पैदावार 30-40 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
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ग्रैंड नाइन किस्म से सिंचित खेतों में 60-80 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है।
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केले की कटाई कच्चे लेकिन पूरी तरह विकसित फल अवस्था में करनी चाहिए ताकि परिवहन के दौरान नुकसान कम हो।
मंडी भाव और व्यापार – Banana Price and Market Trends
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2025 में केले का औसत भाव:
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स्थानीय मंडी: ₹8 – ₹15 प्रति किलो
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थोक बाजार: ₹800 – ₹1200 प्रति क्विंटल
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निर्यात मूल्य: गुणवत्ता और किस्म के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर दाम मिलते हैं।
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प्रोसेसिंग यूनिट (चिप्स, पाउडर, प्यूरी) लगाने से अतिरिक्त लाभ।
लागत और मुनाफा – Cost and Profit
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खेती की लागत: लगभग ₹2 – ₹2.5 लाख प्रति हेक्टेयर
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औसत आय: ₹4 – ₹5 लाख प्रति हेक्टेयर (सामान्य उत्पादन के साथ)
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शुद्ध लाभ: ₹1.5 – ₹2.5 लाख प्रति हेक्टेयर
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यदि निर्यात-योग्य गुणवत्ता का उत्पादन हो, तो लाभ कई गुना बढ़ सकता है।
निष्कर्ष – Conclusion
केले की खेती एक पूरी तरह लाभकारी फसल है जो कम समय में बेहतर आमदनी देती है। यदि किसान ड्रिप सिंचाई, संतुलित उर्वरक प्रबंधन और रोग नियंत्रण पर ध्यान दें, तो पैदावार और गुणवत्ता दोनों ही उच्चतम स्तर पर पहुँच सकती हैं। साथ ही, प्रोसेसिंग और निर्यात पर जोर देकर किसान अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं