पपीता (Papaya) एक अत्यंत लाभदायक और पौष्टिक फलदार फसल है, जिसे किसान बहुत कम समय में अच्छी आमदनी के लिए उगा सकते हैं।
यह फल विटामिन A, C, फाइबर, कैल्शियम और एंजाइम पपेन से भरपूर होता है।
पपीता का उपयोग न केवल फल के रूप में बल्कि औषधीय, कॉस्मेटिक और प्रोसेसिंग उद्योगों में भी किया जाता है।
भारत में पपीते की खेती लगभग पूरे वर्ष की जा सकती है और यह फसल 9–12 महीने में फल देने लगती है।
🌾 पपीता उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य – Major Papaya Producing States in India
भारत में पपीता उत्पादन में अग्रणी राज्य हैं 👇
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महाराष्ट्र
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गुजरात
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आंध्र प्रदेश
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तमिलनाडु
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उत्तर प्रदेश
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कर्नाटक
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बिहार
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पश्चिम बंगाल
👉 महाराष्ट्र और गुजरात मिलकर देश के कुल उत्पादन का लगभग 45% हिस्सा देते हैं।
🌱 पपीते की प्रमुख किस्में – Popular Varieties of Papaya
| किस्म का नाम | विशेषता | औसत पैदावार (टन/हेक्टेयर) |
|---|---|---|
| Red Lady 786 | अधिक फल, रोग प्रतिरोधक, बाजार में लोकप्रिय | 80–100 |
| Pusa Delicious | स्वादिष्ट, घरेलू उपयोग के लिए उपयुक्त | 70–80 |
| CO-2 | लम्बे समय तक टिकने वाले फल | 60–75 |
| Washington | मोटे फल, रंग आकर्षक | 65–85 |
| Taiwan 786 Hybrid | जल्दी फल देने वाली और भारी पैदावार वाली किस्म | 90–110 |
☀️ जलवायु और मिट्टी – Climate and Soil Requirements
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जलवायु: पपीते के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त है।
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तापमान: 22°C से 35°C
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ठंड और पाला इस फसल के लिए हानिकारक है।
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मिट्टी: दोमट, जल निकासी वाली और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी सर्वश्रेष्ठ रहती है।
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pH: 6.0 से 7.5 उपयुक्त।
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👉 भारी और जलभराव वाली मिट्टी में पपीता न लगाएँ क्योंकि इससे जड़ सड़न रोग होता है।
🧑🌾 खेत की तैयारी और पौधरोपण – Land Preparation and Transplanting
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खेत को 2–3 बार गहराई से जोतें और समतल करें।
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प्रत्येक गड्ढे में 10–12 किग्रा गोबर की सड़ी खाद डालें।
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पौधों के बीच की दूरी: 1.8 × 1.8 मीटर
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1 हेक्टेयर में पौधे: लगभग 3,000 से 3,200
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पौधों को रोपने से पहले फफूंदनाशक घोल (कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/ली.) में डुबोएँ।
🌾 बुवाई का समय – Sowing Season
| क्षेत्र | बुवाई का समय |
|---|---|
| उत्तरी भारत | फरवरी – मार्च और जून – जुलाई |
| दक्षिण भारत | जून – दिसंबर |
| पहाड़ी क्षेत्र | अप्रैल – अगस्त |
🌿 उर्वरक प्रबंधन – Fertilizer Management
| पोषक तत्व | मात्रा (किग्रा/हेक्टेयर) | उपयोग का समय |
|---|---|---|
| नाइट्रोजन (N) | 250 | रोपाई के 45 और 90 दिन बाद |
| फास्फोरस (P₂O₅) | 150 | रोपाई के समय |
| पोटाश (K₂O) | 250 | फल बनने के समय |
👉 हर पौधे में 10–15 किग्रा गोबर की खाद साल में दो बार डालना लाभकारी है।
💧 सिंचाई प्रबंधन – Irrigation Management
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पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करें।
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गर्मी के मौसम में हर 6–8 दिन पर और सर्दी में हर 10–12 दिन पर सिंचाई करें।
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ड्रिप सिंचाई प्रणाली (Drip Irrigation) से पानी की बचत और फल की गुणवत्ता बढ़ती है।
🪰 रोग और कीट प्रबंधन – Disease and Pest Control
प्रमुख रोग
| रोग का नाम | लक्षण | नियंत्रण |
|---|---|---|
| पत्ती मुरझाना (Leaf Curl) | पत्तियाँ सिकुड़ना, फल विकृत | नीम तेल 5% छिड़काव करें |
| मोज़ेक वायरस | पत्तियों पर पीले धब्बे | रोगग्रस्त पौधे निकाल दें |
| जड़ सड़न (Root Rot) | पौधा मुरझा जाता है | कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/लीटर छिड़कें |
प्रमुख कीट
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एफिड्स (Aphids)
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मिली बग्स (Mealy Bugs)
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फ्रूट फ्लाई (Fruit Fly)
👉 नियंत्रण हेतु नीम तेल या इमिडाक्लोप्रिड का हल्का छिड़काव करें।
🍈 फल तोड़ाई और पैदावार – Harvesting and Yield
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पपीते के पौधे रोपाई के 8–10 महीने बाद फल देना शुरू कर देते हैं।
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फलों को आधा पका होने पर तोड़ें ताकि बाजार तक सुरक्षित पहुँचे।
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औसत पैदावार: 80–120 टन प्रति हेक्टेयर
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अच्छी देखभाल करने पर यह उत्पादन 150 टन/हेक्टेयर तक पहुँच सकता है।
📈 पपीता मंडी भाव 2025 – Papaya Market Price in India
| राज्य | औसत भाव (₹/क्विंटल) | अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) |
|---|---|---|
| महाराष्ट्र | 2,000 | 2,800 |
| गुजरात | 2,200 | 3,000 |
| उत्तर प्रदेश | 1,800 | 2,400 |
| बिहार | 1,900 | 2,500 |
| तमिलनाडु | 2,300 | 3,200 |
👉 खुदरा बाजार में दर ₹30–₹60 प्रति किलो तक मिलती है,
विशेषकर Red Lady और Taiwan Hybrid किस्मों के लिए।
💰 लागत और मुनाफा – Cost and Profit Analysis
| विवरण | खर्च (₹/हेक्टेयर) |
|---|---|
| पौधे और बीज | 10,000 |
| खाद और उर्वरक | 15,000 |
| सिंचाई और दवा | 7,000 |
| मजदूरी | 10,000 |
| रखरखाव और अन्य खर्च | 8,000 |
| कुल लागत | ₹50,000–₹55,000 |
👉 औसत आय (100 टन × ₹2,000) = ₹2,00,000
शुद्ध मुनाफा: ₹1,40,000–₹1,50,000 प्रति हेक्टेयर
🧬 आधुनिक तकनीकें – Modern Farming Techniques
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ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग: पानी की बचत और खरपतवार नियंत्रण।
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टिश्यू कल्चर पौधे: समान आकार और अधिक उपज।
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जैविक खेती: बेहतर स्वाद, ऊँची बाजार कीमत।
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Net House Cultivation: कीटों से सुरक्षा और सालभर उत्पादन।
🍃 पोषण मूल्य – Nutritional Value of Papaya
| पोषक तत्व | मात्रा (100 ग्राम में) |
|---|---|
| कैलोरी | 43 kcal |
| कार्बोहाइड्रेट | 11 ग्राम |
| फाइबर | 2 ग्राम |
| विटामिन C | 60 मि.ग्रा |
| विटामिन A | 950 IU |
| पोटैशियम | 180 मि.ग्रा |
👉 पपीता पाचन में सहायक, त्वचा के लिए लाभदायक और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला फल है।
🏁 निष्कर्ष – Conclusion
पपीता की खेती किसानों के लिए कम लागत और अधिक लाभ का उत्तम विकल्प है।
यदि किसान उन्नत किस्में, जैविक खाद और वैज्ञानिक तकनीक अपनाते हैं,
तो वे प्रति हेक्टेयर ₹1.5 लाख से अधिक का लाभ कमा सकते हैं।
“पपीता – पोषण, स्वास्थ्य और समृद्धि का सुनहरा फल।” 🍈