बाजरा (Pearl Millet) की खेती और मंडी भाव 2025 | पैदावार, किस्में, लागत और मुनाफा

बाजरा भारत की प्रमुख अनाज फसलों में से एक है, जिसे “गरीबों का अनाज” कहा जाता है।
यह मुख्य रूप से सूखे और अर्ध-शुष्क इलाकों में उगाया जाता है क्योंकि यह कम पानी में भी अच्छी उपज देने वाली फसल है।
बाजरे के दाने प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, लोहा और खनिजों से भरपूर होते हैं, इसलिए यह पौष्टिक आहार (Nutrient Rich Food) के रूप में भी प्रसिद्ध है।

भारत विश्व में बाजरा उत्पादन में पहले स्थान पर है और इसका उपयोग मानव आहार, पशु चारा तथा औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है।


बाजरा उत्पादक प्रमुख राज्य – Major Bajra Producing States in India

भारत में बाजरा मुख्य रूप से निम्न राज्यों में उगाया जाता है 👇

  • राजस्थान (सबसे बड़ा उत्पादक राज्य)

  • हरियाणा

  • उत्तर प्रदेश

  • गुजरात

  • महाराष्ट्र

  • कर्नाटक

  • मध्य प्रदेश

इन राज्यों में बाजरा किसानों के लिए एक प्रमुख नकदी फसल (Cash Crop) बन चुकी है।


बाजरे की प्रमुख किस्में – Improved Varieties of Bajra

किस्म का नाम विशेषता औसत पैदावार (क्विंटल/हेक्टेयर)
HHB-67 Improved सूखा प्रतिरोधी, जल्दी पकने वाली 25–30
HC-20 उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक 30–35
RHB-173 राजस्थान क्षेत्र के लिए उपयुक्त 28–32
ICTP-8203 (Dhanashakti) पोषण से भरपूर, आयरन रिच किस्म 25–30
NBH-10 संकर किस्म, अधिक उत्पादन वाली 35–40

जलवायु और मिट्टी – Climate and Soil for Bajra Farming

  • जलवायु: बाजरा गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह बढ़ता है।

    • आदर्श तापमान: 25°C से 35°C

    • अधिक वर्षा या अत्यधिक ठंड इसके लिए हानिकारक होती है।

  • मिट्टी: रेतीली, दोमट या हल्की काली मिट्टी उपयुक्त रहती है।

    • मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

    • जल निकासी अच्छी होनी चाहिए।


बुवाई का समय और बीज दर – Sowing Time and Seed Rate

क्षेत्र बुवाई का समय बीज की मात्रा (किग्रा/हेक्टेयर)
उत्तर भारत जून – जुलाई 4–5
दक्षिण भारत जुलाई – अगस्त 4–5
देर से बुवाई अगस्त के पहले पखवाड़े तक 5–6

👉 बीज को बोने से पहले थायरम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम से उपचारित करें।


खेत की तैयारी और बुवाई – Field Preparation and Planting

  1. खेत को 2–3 बार जुताई करके भुरभुरा करें।

  2. अंतिम जुताई के समय गोबर की सड़ी खाद (10–12 टन/हेक्टेयर) डालें।

  3. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10–12 सेमी रखें।

  4. बुवाई की गहराई 3–4 सेमी रखें।


उर्वरक प्रबंधन – Fertilizer Management

पोषक तत्व मात्रा (किग्रा/हेक्टेयर) समय
नाइट्रोजन (N) 60 आधी बुवाई के समय, आधी टिलरिंग के समय
फास्फोरस (P₂O₅) 40 बुवाई के समय
पोटाश (K₂O) 20 बुवाई के समय

👉 सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक सल्फेट (25 किग्रा/हेक्टेयर) डालना उपज बढ़ाता है।


सिंचाई प्रबंधन – Irrigation Management

बाजरा सामान्यतः वर्षा आधारित फसल है, परंतु यदि सिंचाई सुविधा हो तो 2–3 बार सिंचाई करने से उपज में वृद्धि होती है।

  • पहली सिंचाई: अंकुरण के 20–25 दिन बाद

  • दूसरी सिंचाई: फूल आने से पहले

  • तीसरी सिंचाई: दाने बनने के समय

👉 जलभराव (Waterlogging) से फसल को नुकसान होता है, इसलिए जल निकासी जरूरी है।


रोग और कीट प्रबंधन – Disease and Pest Control

प्रमुख रोग:

  1. स्मट रोग (Smut Disease): बीज उपचार और रोगग्रस्त पौधों को नष्ट करें।

  2. डाउन माइल्ड्यू (Downy Mildew): मैनकोजेब या मेटालैक्सिल का छिड़काव करें।

  3. लीफ ब्लाइट: ट्रायकोडर्मा का प्रयोग करें।

प्रमुख कीट:

  • स्टेम बोरर (Stem Borer): नीम तेल या क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव करें।

  • जड़ कीट (Root Grub): मिट्टी उपचार से रोकथाम करें।


कटाई और पैदावार – Harvesting and Yield

  • फसल 75–90 दिन में पक जाती है।

  • जब बालियाँ सुनहरी और दाने सख्त हो जाएँ, तभी कटाई करें।

  • औसत उपज: 20–35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।

  • सूखी फसल को मड़ाई कर साफ कर सुरक्षित भंडारण करें।


बाजरा मंडी भाव 2025 – Bajra Market Price in India

राज्य औसत भाव (₹/क्विंटल) अधिकतम भाव (₹/क्विंटल)
राजस्थान 2,200 2,400
हरियाणा 2,250 2,450
गुजरात 2,100 2,300
उत्तर प्रदेश 2,050 2,250
मध्य प्रदेश 2,000 2,200

👉 MSP 2025: ₹2,275 प्रति क्विंटल घोषित है।


लागत और मुनाफा – Cost and Profit of Bajra Farming

विवरण अनुमानित खर्च (₹/हेक्टेयर)
बीज और खाद 5,000 – 6,000
सिंचाई व मजदूरी 4,000 – 5,000
कीटनाशक व दवा 2,000
अन्य खर्च 3,000
कुल लागत ₹14,000 – ₹16,000

👉 यदि औसत उपज 25 क्विंटल हो और बिक्री ₹2,300/क्विंटल के भाव से हो,
तो कुल आय = ₹57,500
शुद्ध मुनाफा: ₹40,000 – ₹43,000 प्रति हेक्टेयर


बाजरा की आधुनिक खेती तकनीक – Modern Techniques

  1. संकर (Hybrid) किस्मों का प्रयोग: अधिक उत्पादन के लिए।

  2. ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation): पानी की बचत और बेहतर वृद्धि।

  3. जैविक खाद और बायोफर्टिलाइजर: मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखें।

  4. फसल चक्र (Crop Rotation): मिट्टी की उर्वरता बरकरार रहती है।

  5. Precision Farming: सेंसर आधारित निगरानी और स्मार्ट खेती तकनीक।


पोषण मूल्य और उपयोग – Nutritional Value and Uses

बाजरा प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस से भरपूर है।
इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है और यह डायबिटीज़, मोटापा और हृदय रोगों में फायदेमंद माना जाता है।

मुख्य उपयोग:

  • रोटियाँ, खिचड़ी, दलिया, आटा

  • पशु चारा

  • औद्योगिक उपयोग (बिस्कुट, एनर्जी बार्स, हेल्थ फूड्स)


निष्कर्ष – Conclusion

बाजरा की खेती भारत के किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है।
यह सूखा सहनशील, पौष्टिक और कम सिंचाई वाली फसल है, जो जलवायु परिवर्तन के समय में सबसे उपयुक्त विकल्प मानी जाती है।

👉 2025 में बाजरे की खेती अपनाने से किसान ₹40,000 से अधिक शुद्ध लाभ कमा सकते हैं।
यदि किसान उन्नत किस्में, जैविक खाद और आधुनिक सिंचाई तकनीक अपनाएँ तो उत्पादन और आय दोनों में वृद्धि संभव है।

“बाजरा — स्वास्थ्य, पोषण और लाभ का अनमोल अनाज।” 🌾

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