मिर्च की खेती और मंडी भाव 2025

Mirch ki Kheti aur Bhav

मिर्च (Chilli) भारत की प्रमुख मसाला फसलों में से एक है। यह न केवल भारतीय व्यंजनों में तीखापन और स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग होती है, बल्कि इसका औद्योगिक और औषधीय महत्व भी बहुत अधिक है।
भारत विश्व में सबसे बड़ा मिर्च उत्पादक और निर्यातक देश है। प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य हैं आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान।

मिर्च की खेती हरी सब्ज़ी (Green Chilli) और सूखी मिर्च (Dry Chilli) दोनों रूपों में होती है। सूखी मिर्च का उपयोग मसाला पाउडर, पेस्ट और निर्यात के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।


प्रमुख मिर्च किस्में – Chilli Varieties

भारत में कई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं, जो उच्च पैदावार, तीखापन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं:

  • G-4 (सांभर मिर्च) – तीखापन और गहरे लाल रंग के लिए मशहूर।

  • सोनल (Sonal) – अधिक उत्पादन और लंबे फल।

  • पुसा ज्वाला (Pusa Jwala) – हरी मिर्च उत्पादन के लिए उपयुक्त।

  • पंत सी-1 (Pant C-1) – रोग प्रतिरोधी किस्म।

  • Byadgi Chilli (कर्नाटक) – कम तीखापन और गहरे रंग के लिए निर्यात में लोकप्रिय।

  • Teja Chilli (आंध्र प्रदेश) – अत्यधिक तीखी और उच्च बाजार मांग।


मिर्च की खेती की तैयारी – Farming Practices

1. भूमि का चयन

  • मिट्टी: बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सर्वोत्तम।

  • pH मान: 6.0 से 7.5 के बीच।

  • खेत अच्छी जल निकासी वाला होना चाहिए।

2. बीज की तैयारी

  • स्वस्थ और रोगमुक्त बीज का चयन करें।

  • रोपाई से पहले बीज को फफूंदनाशी दवा (कार्बेन्डाजिम 2g/kg) से उपचारित करें।

3. बुआई का समय

  • उत्तर भारत: जून–जुलाई (खरीफ) और अक्टूबर–नवंबर (रबी)

  • दक्षिण भारत: मई–जून या दिसंबर–जनवरी

  • रोपाई के लिए पौध नर्सरी 30–35 दिन में तैयार हो जाती है।

4. रोपाई की दूरी

  • पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी, कतार से कतार की दूरी 60 सेमी रखें।

5. सिंचाई

  • पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद।

  • उसके बाद 10–12 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें।

  • फूल और फल आने के समय नमी का विशेष ध्यान रखें।

6. खाद एवं उर्वरक

  • गोबर की सड़ी खाद: 20–25 टन/हेक्टेयर

  • यूरिया: 100–120 किग्रा/हेक्टेयर

  • डीएपी: 150–200 किग्रा/हेक्टेयर

  • पोटाश: 100 किग्रा/हेक्टेयर


रोग एवं कीट प्रबंधन – Pest and Disease Management

रोग / कीट लक्षण नियंत्रण उपाय
पत्तों का झुलसा रोग (Leaf Blight) पत्तियाँ सूखना, पीला पड़ना मैनेकोज़ेब या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव
थ्रिप्स और एफिड (Thrips & Aphids) पत्तियों का मुड़ना, सिकुड़ना इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव
फ्रूट बोरर (Fruit Borer) फल में सुराख और सड़न स्पिनोसेड या क्लोरपायरीफॉस का प्रयोग
मिर्च मोज़ेक वायरस पत्तियों पर पीली लकीरें रोगमुक्त बीज और सफाई प्रबंधन

पैदावार और भंडारण – Yield and Storage

  • हरी मिर्च की पैदावार: 80–100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।

  • सूखी मिर्च की पैदावार: 20–25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।

  • भंडारण: सूखी मिर्च को नमी रहित स्थान या गनियों में रखकर 6–8 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।


मिर्च का मंडी भाव 2025 – Chilli Price in India

जनवरी 2025 में विभिन्न राज्यों में मिर्च के औसत मंडी भाव इस प्रकार रहे:

राज्य/जिला न्यूनतम भाव (₹/क्विंटल) अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) औसत भाव (₹/क्विंटल)
गुंटूर (आंध्र प्रदेश) 10,000 14,000 12,000
धारवाड़ (कर्नाटक) 9,500 13,500 11,000
खंडवा (म.प्र.) 9,000 13,000 11,000
नागौर (राजस्थान) 9,200 13,200 11,200
अमरावती (महाराष्ट्र) 9,800 13,800 11,500

नोट: मिर्च के भाव मंडियों में आवक, मौसम और स्टॉक की स्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं।


मिर्च का व्यापार और निर्यात

  • भारत से मिर्च का निर्यात चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका में होता है।

  • डिहाइड्रेटेड मिर्च पाउडर, पेस्ट और ओलेओरेसिन की मांग तेजी से बढ़ रही है।

  • मिर्च व्यापार का सालाना मूल्य कई हजार करोड़ रुपये तक पहुँचता है।


लागत और मुनाफा – Cost & Profit Analysis

  • लागत: 1 हेक्टेयर मिर्च की खेती में ₹70,000 – ₹90,000 तक खर्च।

  • लाभ: अच्छी पैदावार और सही भाव मिलने पर ₹1,50,000 – ₹2,20,000 तक शुद्ध लाभ संभव।


निष्कर्ष – Conclusion

मिर्च की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी और निर्यात-उन्मुख फसल है।
यदि किसान उन्नत किस्मों का चुनाव करें, सही समय पर रोपाई करें और रोग एवं कीट प्रबंधन पर ध्यान दें, तो वे बेहतर उत्पादन और स्थिर आय प्राप्त कर सकते हैं।
2025 में मिर्च के भाव मजबूत रहने की संभावना है, जिससे किसानों को अतिरिक्त मुनाफा हो सकता है

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