लहसुन की खेती और मंडी भाव 2025

Lahsun ki Kheti aur Bhav

लहसुन (Garlic) भारत की प्रमुख मसाला फसलों में से एक है। यह केवल स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि औषधीय गुणों के कारण भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
लहसुन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसका प्रयोग मसाले, अचार, पेस्ट, पाउडर और आयुर्वेदिक दवाइयों में बड़े पैमाने पर होता है।
भारत में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पंजाब लहसुन उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं।


प्रमुख लहसुन किस्में – Garlic Varieties

भारत में कई उन्नत लहसुन किस्में उगाई जाती हैं, जो अच्छी उपज और भंडारण क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं:

  • अग्रिफाउंड पार्वती (Agrifound Parvati) – ठंडे इलाकों के लिए उपयुक्त।

  • यमुना सफेद (Yamuna Safed-3, 4, 5) – उच्च पैदावार और सफेद कलियों वाली किस्म।

  • गुजरात लहसुन-3 (Gujarat Garlic-3) – बड़े आकार और अच्छी शेल्फ लाइफ।

  • G-282 और G-323 – गर्म इलाकों के लिए अनुकूल।

  • यमुना सफेद-8 – निर्यात गुणवत्ता वाली किस्म।


लहसुन की खेती की तैयारी – Farming Practices

1. भूमि का चयन

  • मिट्टी: बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सर्वोत्तम।

  • pH मान: 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

  • खेत समतल और अच्छी जल निकासी वाला हो।

2. बीज की तैयारी

  • बीज के रूप में स्वस्थ व अच्छी गुणवत्ता की कलियों (Cloves) का चयन करें।

  • बुआई से पहले कलियों को फफूंदनाशी दवा से उपचारित करें।

3. बुआई का समय

  • उत्तर भारत: अक्टूबर के अंत से नवंबर तक।

  • दक्षिण भारत: अगस्त–सितंबर या जनवरी–फरवरी।

4. बुआई की विधि

  • कतार से कतार की दूरी 15 सेमी, पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखें।

  • कलियों को सीधा (ऊपर नुकीला भाग) करके 3–4 सेमी गहराई में लगाएँ।

5. सिंचाई

  • पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद करें।

  • इसके बाद हर 8–10 दिन में हल्की सिंचाई करें।

  • कटाई से 15–20 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें।

6. खाद एवं उर्वरक

  • गोबर की सड़ी खाद: 20 टन/हेक्टेयर

  • यूरिया: 100 किग्रा/हेक्टेयर

  • डीएपी: 150 किग्रा/हेक्टेयर

  • पोटाश: 100 किग्रा/हेक्टेयर


रोग एवं कीट प्रबंधन – Pest and Disease Management

रोग / कीट लक्षण नियंत्रण उपाय
बैंगनी धब्बा (Purple Blotch) पत्तियों पर बैंगनी धब्बे मैनेकोज़ेब का छिड़काव
गुबरैला (Stem Borer) पौधों का गिरना क्लोरपायरीफॉस का प्रयोग
थ्रिप्स (Thrips) पत्तियाँ मुड़ना, सूखना इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव
सफेद सड़न (White Rot) जड़ों का सड़ना रोगमुक्त बीज और कार्बेन्डाजिम का उपयोग

पैदावार और भंडारण – Yield and Storage

  • पैदावार: सही प्रबंधन के साथ 80–100 क्विंटल/हेक्टेयर तक।

  • भंडारण: लहसुन को हवादार, सूखे स्थान पर 4–5 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

  • अच्छी किस्म और सही ग्रेडिंग करने से शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है।


लहसुन का मंडी भाव 2025 – Garlic Price in India

जनवरी 2025 में विभिन्न राज्यों में लहसुन के औसत मंडी भाव इस प्रकार रहे:

राज्य/जिला न्यूनतम भाव (₹/क्विंटल) अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) औसत भाव (₹/क्विंटल)
नीमच (म.प्र.) 5000 7500 6200
लखनऊ (यूपी) 4800 7200 6000
नासिक (महाराष्ट्र) 5200 7600 6400
अजमेर (राजस्थान) 4900 7300 6100
अमृतसर (पंजाब) 5100 7400 6200

नोट: लहसुन के भाव मंडियों में आवक, मौसम और स्टॉक की स्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं।


लहसुन का व्यापार और निर्यात

  • भारत से लहसुन का निर्यात बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान और खाड़ी देशों में होता है।

  • लहसुन पाउडर, पेस्ट और डिहाइड्रेटेड लहसुन की मांग तेजी से बढ़ रही है।

  • लहसुन का व्यापार किसानों के लिए उच्च मुनाफे का अवसर प्रदान करता है।


लागत और मुनाफा – Cost & Profit Analysis

  • लागत: 1 हेक्टेयर लहसुन की खेती में ₹70,000 – ₹90,000 तक खर्च।

  • लाभ: अच्छी उपज और सही भाव मिलने पर ₹1,50,000 – ₹2,00,000 तक शुद्ध मुनाफा संभव।


निष्कर्ष – Conclusion

लहसुन की खेती किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी व्यवसाय है।
यदि किसान रोगमुक्त बीज चुनें, सही समय पर बुआई करें और रोग एवं कीट प्रबंधन पर ध्यान दें, तो वे अधिक पैदावार और स्थिर आय प्राप्त कर सकते हैं।
2025 में लहसुन के भाव मजबूत रहने की संभावना है, जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिल सकता है।

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