पालक एक प्रमुख हरी पत्तेदार सब्जी (Leafy Vegetable) है, जिसे विटामिन, खनिज, आयरन और फाइबर का समृद्ध स्रोत माना जाता है।
यह सर्दी और गर्मी दोनों मौसमों में उगाई जा सकती है, इसलिए इसे सालभर की फसल (Year-Round Crop) कहा जाता है।
पालक का उपयोग घरों, होटलों, कैटरिंग, और प्रोसेसिंग यूनिटों में बड़े पैमाने पर होता है।
यह किसानों के लिए कम अवधि में अधिक लाभ देने वाली नकदी फसल (Short Duration Cash Crop) है।
प्रमुख पालक उत्पादक राज्य – Major Spinach Producing States
भारत में पालक की खेती मुख्यतः इन राज्यों में की जाती है 👇
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उत्तर प्रदेश
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महाराष्ट्र
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मध्य प्रदेश
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बिहार
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हरियाणा
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पश्चिम बंगाल
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गुजरात
इन राज्यों में पालक खेतों, बागीचों और नालों के किनारे भी सफलतापूर्वक उगाई जाती है।
पालक की प्रमुख किस्में – Improved Varieties of Spinach
| किस्म का नाम | विशेषता | औसत पैदावार (टन/हेक्टेयर) |
|---|---|---|
| Punjab Green | जल्दी तैयार, गाढ़ी हरी पत्तियाँ | 100–120 |
| All Green | अधिक पत्तियाँ, अच्छी गुणवत्ता | 80–100 |
| Jobner Green | सर्दी में अधिक उपज | 90–110 |
| Pusa Jyoti | रोग प्रतिरोधक और तेज़ वृद्धि | 100–120 |
| Arka Anupama | गर्मी में भी उपयुक्त | 90–100 |
जलवायु और मिट्टी – Climate and Soil Requirements
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जलवायु: पालक ठंडी और नम जलवायु में सबसे अच्छी होती है।
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अंकुरण के लिए तापमान: 18°C से 25°C
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उच्च तापमान पर पत्तियाँ कठोर और स्वादहीन हो जाती हैं।
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मिट्टी: दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी जिसमें जैविक पदार्थ (Organic Matter) पर्याप्त हो, उपयुक्त रहती है।
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pH: 6.0 से 7.0 सबसे अच्छा।
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जल निकासी (Drainage) अच्छी होनी चाहिए।
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बुवाई का समय और बीज दर – Sowing Time and Seed Rate
| क्षेत्र | बुवाई का समय | बीज की मात्रा (किग्रा/हेक्टेयर) |
|---|---|---|
| उत्तरी भारत | अक्टूबर – फरवरी | 25–30 |
| दक्षिण भारत | अगस्त – दिसंबर | 30–35 |
| गर्मी की फसल | फरवरी – अप्रैल | 35 |
👉 बीजों को बुवाई से पहले 8–10 घंटे पानी में भिगोकर बोने से अंकुरण दर बढ़ जाती है।
खेत की तैयारी और बुवाई – Field Preparation and Planting
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खेत की 2–3 बार जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं।
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20–25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद डालें।
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क्यारियाँ (Beds) बनाकर सिंचाई नालियाँ छोड़ें।
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पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25–30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 5–8 सेमी रखें।
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बीजों को हल्की मिट्टी से ढक दें।
उर्वरक प्रबंधन – Fertilizer Management
| पोषक तत्व | मात्रा (किग्रा/हेक्टेयर) | समय |
|---|---|---|
| नाइट्रोजन (N) | 80 | आधी बुवाई के समय, आधी कटाई के बाद |
| फास्फोरस (P₂O₅) | 40 | बुवाई के समय |
| पोटाश (K₂O) | 40 | बुवाई के समय |
👉 इसके अलावा 2–3 टन वर्मी कम्पोस्ट डालना उपज बढ़ाता है।
सिंचाई प्रबंधन – Irrigation Management
पालक में नमी बनाए रखना आवश्यक है क्योंकि सूखी मिट्टी पत्तियों की गुणवत्ता कम कर देती है।
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पहली सिंचाई – बुवाई के तुरंत बाद।
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उसके बाद हर 6–8 दिन पर हल्की सिंचाई करें।
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गर्मी में 4–5 दिन पर सिंचाई करें।
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ड्रिप सिंचाई प्रणाली से पानी की बचत और रोगों में कमी आती है।
रोग और कीट प्रबंधन – Disease and Pest Control
प्रमुख रोग
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डाउनी माइल्ड्यू (Downy Mildew): पत्तियों पर सफेद दाग बनते हैं — मैनकोजेब 0.25% छिड़काव करें।
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लीफ स्पॉट (Leaf Spot): कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
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फ्यूसरियम विल्ट: फसल चक्र और जैविक नियंत्रण अपनाएँ।
प्रमुख कीट
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एफिड्स (Aphids): नीम तेल 5% का छिड़काव करें।
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थ्रिप्स: इमिडाक्लोप्रिड का हल्का स्प्रे करें।
कटाई और पैदावार – Harvesting and Yield
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पालक की फसल 25–30 दिन में कटाई योग्य हो जाती है।
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पत्तियाँ हरी और कोमल रहते समय ही काटें।
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हर 20 दिन के अंतराल पर 3–4 कटाई संभव है।
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औसतन पैदावार: 100–120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
कटाई के बाद पालक को ठंडी जगह पर रखें ताकि ताजगी बनी रहे।
पालक मंडी भाव 2025 – Spinach Market Price in India
| राज्य | औसत भाव (₹/क्विंटल) | अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) |
|---|---|---|
| उत्तर प्रदेश | 1,800 | 2,200 |
| हरियाणा | 1,700 | 2,100 |
| गुजरात | 1,900 | 2,300 |
| महाराष्ट्र | 1,800 | 2,400 |
| बिहार | 1,600 | 2,000 |
👉 खुदरा बाजार में दर ₹20–₹40 प्रति किलो तक पहुँच जाती है।
लागत और मुनाफा – Cost and Profit Analysis
| विवरण | अनुमानित खर्च (₹/हेक्टेयर) |
|---|---|
| बीज और खाद | 8,000 |
| सिंचाई और दवा | 5,000 |
| मजदूरी | 10,000 |
| अन्य खर्च | 3,000 |
| कुल लागत | ₹25,000–₹30,000 |
👉 औसत आय (100 क्विंटल × ₹2,000) = ₹2,00,000
शुद्ध मुनाफा: ₹1,60,000–₹1,70,000 प्रति हेक्टेयर
आधुनिक तकनीकें – Modern Farming Practices
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ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई: पानी की बचत और अधिक पैदावार।
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जैविक खाद (Organic Fertilizer): मिट्टी की गुणवत्ता और स्वाद बेहतर।
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नेट हाउस खेती: कीटों से सुरक्षा और सालभर उत्पादन।
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Precision Farming: मिट्टी की नमी और पोषक तत्वों की निगरानी।
पोषण मूल्य और उपयोग – Nutritional Value and Uses
पालक में भरपूर मात्रा में विटामिन A, C, K, आयरन, कैल्शियम और फोलेट पाया जाता है।
यह रक्त की कमी (Anemia) दूर करने, पाचन शक्ति बढ़ाने और प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में मदद करता है।
मुख्य उपयोग:
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सब्ज़ी, पराठा, सूप, जूस, पालक पनीर
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औषधीय उपयोग और प्रोसेसिंग यूनिटों में पाउडर निर्माण
निष्कर्ष – Conclusion
पालक की खेती किसानों के लिए कम समय, कम लागत और अधिक मुनाफे वाली फसल है।
यह वर्षभर उगाई जा सकती है और बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
👉 यदि किसान उन्नत किस्में, जैविक खाद और ड्रिप सिंचाई अपनाते हैं,
तो वे प्रति हेक्टेयर ₹1.5 लाख से अधिक का शुद्ध लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
“पालक – स्वास्थ्य, पोषण और किसान समृद्धि की हरित पहचान।” 🌿