टमाटर (Tomato) की खेती और मंडी भाव 2025 | पूरी जानकारी, लागत, पैदावार और मुनाफा

टमाटर (Tomato) भारत की सबसे प्रमुख सब्जियों में से एक है। इसे “लाल सोना” भी कहा जाता है क्योंकि यह किसानों को नकदी फसल के रूप में अच्छा मुनाफा देती है। टमाटर का उपयोग सब्जी, सूप, सॉस, केचप, सलाद और कई तरह के प्रसंस्कृत (Processed) खाद्य पदार्थों में होता है। भारत विश्व में टमाटर उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा देश है, और इसकी खेती लगभग सभी राज्यों में की जाती है।

टमाटर एक ऐसी फसल है जो थोड़ी देखभाल और वैज्ञानिक प्रबंधन के साथ बहुत अधिक उत्पादन देती है। इसलिए यह किसानों के लिए लाभदायक फसल (Profit Crop) मानी जाती है।


प्रमुख टमाटर की किस्में – Tomato Varieties in India

भारत में टमाटर की कई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं। कुछ लोकप्रिय किस्में निम्नलिखित हैं –

  • पूसा रूबी (Pusa Ruby) – जल्दी तैयार होने वाली और स्वादिष्ट किस्म।

  • पूसा अर्ली ड्वार्फ (Pusa Early Dwarf) – कम ऊँचाई वाला पौधा, जल्दी फसल।

  • आर्का विकास (Arka Vikas) – अधिक उत्पादन और गर्मी में भी उपयुक्त।

  • आर्का रक्षक (Arka Rakshak) – रोग प्रतिरोधी हाइब्रिड किस्म।

  • नवीन (Naveen) – लंबे समय तक ताजा रहने वाले फल।

  • आर्का सम्राट, आर्का आमोग – उन्नत हाइब्रिड किस्में जो व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त हैं।


जलवायु और मिट्टी – Climate and Soil

  • जलवायु: टमाटर की खेती के लिए हल्की ठंडी और शुष्क जलवायु उपयुक्त रहती है।

    • तापमान: 20°C से 30°C तक आदर्श है।

    • अत्यधिक ठंड या पाला पड़ने पर पौधों को नुकसान होता है।

  • मिट्टी: दोमट या बलुई-दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास अच्छा हो, सर्वोत्तम रहती है।

    • मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए।

    • भारी चिकनी मिट्टी या जलभराव वाले खेतों से बचें।


खेत की तैयारी और पौध रोपण – Field Preparation and Planting

  1. खेत की 2–3 बार गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।

  2. प्रति हेक्टेयर 20–25 टन गोबर की सड़ी खाद या कंपोस्ट मिलाएँ।

  3. क्यारी या नर्सरी में बीज बोकर 25–30 दिन बाद पौधे खेत में रोपें।

  4. पौधों की दूरी:

    • पंक्ति से पंक्ति – 60 सेमी

    • पौधे से पौधा – 45 सेमी

  5. पौधरोपण का समय:

    • खरीफ में जुलाई–अगस्त

    • रबी में अक्टूबर–नवंबर

    • गर्मी में जनवरी–फरवरी


उर्वरक और सिंचाई प्रबंधन – Fertilizer and Irrigation Management

उर्वरक

  • गोबर की खाद: 20–25 टन प्रति हेक्टेयर।

  • रासायनिक उर्वरक (NPK):

    • नत्रजन (N): 120 किग्रा

    • फॉस्फोरस (P): 60 किग्रा

    • पोटाश (K): 60 किग्रा

  • फास्फोरस और पोटाश बुवाई के समय, जबकि नत्रजन दो हिस्सों में दें (रोपण और फूल आने पर)।

सिंचाई

  • गर्मी में 5–7 दिन के अंतराल पर।

  • सर्दी में 10–12 दिन के अंतराल पर।

  • ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और पैदावार बढ़ती है।


रोग एवं कीट प्रबंधन – Disease and Pest Control

प्रमुख रोग

  1. अल्टरनेरिया ब्लाइट (Alternaria Blight):

    • पत्तियों पर भूरे दाग।

    • मैन्कोजेब 0.25% का छिड़काव करें।

  2. लेफ कर्ल वायरस (Leaf Curl Virus):

    • पौधे की पत्तियाँ मुड़ जाती हैं।

    • रोगमुक्त पौधों का चयन करें, सफेद मक्खी नियंत्रण करें।

  3. लेट ब्लाइट (Late Blight):

    • ठंडी और नमी वाली स्थिति में फैलता है।

    • कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।

प्रमुख कीट

  • फ्रूट बोरर (Fruit Borer): नीम तेल या जैविक कीटनाशक का प्रयोग करें।

  • सफेद मक्खी (White Fly): पीले चिपचिपे ट्रैप लगाएँ।


पैदावार और कटाई – Yield and Harvesting

  • पौधरोपण के 70–90 दिन बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

  • प्रति हेक्टेयर औसतन 300–500 क्विंटल टमाटर उत्पादन होता है।

  • फलों की तुड़ाई सुबह या शाम को करें ताकि फसल को नुकसान न पहुँचे।

  • फल को बाजार या प्रोसेसिंग यूनिट तक सावधानी से पहुँचाएँ।


टमाटर का व्यापार और मंडी भाव 2025 – Tomato Market Price in 2025

भारत में प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्य हैं –
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा।

  • थोक बाजार मूल्य: ₹800 से ₹2000 प्रति क्विंटल (गुणवत्ता व सीजन के अनुसार)

  • खुदरा दर: ₹20 से ₹50 प्रति किलो तक

  • निर्यात: भारत से टमाटर बांग्लादेश, नेपाल, दुबई और श्रीलंका जैसे देशों में निर्यात किया जाता है।


लागत और मुनाफा – Cost and Profit

विवरण अनुमानित लागत (₹ प्रति हेक्टेयर)
बीज व पौध तैयारी 10,000 – 15,000
खाद और उर्वरक 20,000 – 25,000
सिंचाई व दवाई 10,000 – 15,000
मजदूरी 25,000 – 30,000
अन्य खर्च 10,000
कुल लागत ₹75,000 – ₹1,00,000

👉 अच्छी किस्म और सही प्रबंधन से ₹2 से ₹3 लाख तक का शुद्ध लाभ प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है।


टमाटर की आधुनिक तकनीकें – Modern Techniques in Tomato Farming

  • ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) से पानी और खाद दोनों की बचत होती है।

  • मल्चिंग (Mulching) से खरपतवार नियंत्रण और नमी संरक्षण होता है।

  • नेट हाउस खेती (Net House Farming) से वर्षभर टमाटर की पैदावार संभव है।

  • हाइब्रिड बीज और जैविक खाद से अधिक उत्पादन और गुणवत्ता मिलती है।


निष्कर्ष – Conclusion

टमाटर की खेती भारत के किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक फसल है। यदि किसान उचित किस्म, वैज्ञानिक तकनीक, जैविक खाद, ड्रिप सिंचाई और रोग नियंत्रण का पालन करें तो उन्हें प्रति हेक्टेयर लाखों का मुनाफा हो सकता है।

2025 में बढ़ती मांग, स्थिर मंडी भाव और प्रोसेसिंग उद्योगों के विस्तार से टमाटर की खेती किसानों के लिए लाल सोने जैसा अवसर साबित हो रही है।

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