गेहूं भारत की सबसे प्रमुख अनाज फसल है, जिसे “रबी फसल का राजा” कहा जाता है।
यह भारत के किसानों की प्रमुख आय का स्रोत है और देश के खाद्य सुरक्षा तंत्र की रीढ़ भी है।
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है।
गेहूं का उपयोग रोटी, बिस्कुट, पास्ता, नूडल्स, ब्रेड, दलिया और कई औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है।
2025 में सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने और नई तकनीकों के आने से गेहूं की खेती किसानों के लिए और भी लाभदायक बन गई है।
गेहूं की प्रमुख किस्में – Popular Wheat Varieties in India
भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग जलवायु के अनुसार गेहूं की किस्में उगाई जाती हैं।
कुछ प्रमुख और उच्च उपज देने वाली किस्में इस प्रकार हैं 👇
| किस्म का नाम | विशेषता | औसत पैदावार (क्विंटल/हेक्टेयर) |
|---|---|---|
| HD-2967 | रोग प्रतिरोधी, उच्च उपज | 60–65 |
| HD-3086 | सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त | 65–70 |
| PBW-343 | पंजाब, हरियाणा के लिए उपयुक्त | 55–60 |
| WH-1105 | उत्तरी भारत में प्रसिद्ध | 60–65 |
| Lok-1 | सूखे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त | 45–50 |
| GW-273 | गुजरात और राजस्थान के लिए | 50–55 |
जलवायु और मिट्टी – Climate and Soil for Wheat Farming
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जलवायु: गेहूं एक रबी फसल है, जो ठंडी जलवायु में अच्छी होती है।
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अंकुरण के लिए तापमान: 20°C–25°C
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पकने के समय तापमान: 30°C–35°C
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मिट्टी: उपजाऊ दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
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मिट्टी का pH मान 6.0–7.5 होना चाहिए।
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जल निकासी अच्छी होनी चाहिए।
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बुवाई का समय और बीज दर – Sowing Time and Seed Rate
| क्षेत्र | बुवाई का समय | बीज की मात्रा (किग्रा/हेक्टेयर) |
|---|---|---|
| उत्तर भारत | 15 अक्टूबर – 30 नवंबर | 100–120 |
| मध्य भारत | 1 नवंबर – 15 दिसंबर | 100–125 |
| दक्षिण भारत | 15 नवंबर – 31 दिसंबर | 90–110 |
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बीज को बोने से पहले थायरम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम/किग्रा से उपचारित करना आवश्यक है।
खेत की तैयारी और बुवाई – Field Preparation and Sowing
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खेत की जुताई 2–3 बार करें और समतल बनाएं।
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अंतिम जुताई में 15–20 टन सड़ी गोबर की खाद डालें।
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सिंचित क्षेत्र में पंक्ति से पंक्ति की दूरी: 20–22 सेमी।
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बुवाई की गहराई: 4–6 सेमी।
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ड्रील या ज़ीरो टिलेज मशीन से बुवाई करें ताकि मिट्टी की नमी बनी रहे।
खाद और उर्वरक प्रबंधन – Fertilizer Management
| पोषक तत्व | मात्रा (किग्रा/हेक्टेयर) | समय |
|---|---|---|
| नाइट्रोजन (N) | 120–150 | आधी बुवाई के समय, आधी सिंचाई के साथ |
| फास्फोरस (P₂O₅) | 60 | बुवाई के समय |
| पोटाश (K₂O) | 40 | बुवाई के समय |
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सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक सल्फेट (25 किग्रा/हेक्टेयर) डालना उपज बढ़ाता है।
सिंचाई प्रबंधन – Irrigation Management
गेहूं की फसल में सही समय पर सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण है।
मुख्य सिंचाई चरण:
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पहली सिंचाई – क्रीटिकल स्टेज (20–25 दिन बाद)
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दूसरी – टिलरिंग स्टेज (45 दिन बाद)
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तीसरी – बूटिंग स्टेज (70 दिन बाद)
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चौथी – फूल आने पर (95–100 दिन बाद)
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पाँचवीं – दाने भरने के समय (115–120 दिन)
👉 कुल 4–5 सिंचाई पर्याप्त होती है।
रोग और कीट नियंत्रण – Disease & Pest Management
प्रमुख रोग
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कंडुआ रोग (Smut) – बीज उपचार से बचाव।
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पत्ती झुलसा (Leaf Blight) – मैनकोजेब 0.25% का छिड़काव।
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जंग रोग (Rust) – प्रोपिकोनाजोल 0.1% स्प्रे करें।
प्रमुख कीट
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गंधी कीट – नीम तेल या क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव।
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थ्रिप्स और एफिड्स – इमिडाक्लोप्रिड 0.03% का छिड़काव।
कटाई और उपज – Harvesting and Yield
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फसल 120–140 दिन में पक जाती है।
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जब दाने सख्त हो जाएँ और पत्तियाँ सूख जाएँ, तभी कटाई करें।
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औसत उपज: 40–70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
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कटाई के बाद फसल को धूप में सुखाकर भंडारण करें।
गेहूं मंडी भाव 2025 – Wheat Market Price in India
| राज्य | औसत मंडी भाव (₹/क्विंटल) | अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) |
|---|---|---|
| पंजाब | 2,350 | 2,500 |
| हरियाणा | 2,340 | 2,480 |
| उत्तर प्रदेश | 2,320 | 2,450 |
| मध्य प्रदेश | 2,310 | 2,470 |
| राजस्थान | 2,300 | 2,460 |
| बिहार | 2,280 | 2,420 |
👉 सरकारी MSP (2025): ₹2,325 प्रति क्विंटल घोषित है।
लागत और मुनाफा – Cost and Profit Analysis
| विवरण | अनुमानित खर्च (₹/हेक्टेयर) |
|---|---|
| बीज व खाद | 10,000 – 12,000 |
| उर्वरक व कीटनाशक | 8,000 – 10,000 |
| मजदूरी व सिंचाई | 10,000 – 12,000 |
| अन्य खर्च | 5,000 |
| कुल लागत | ₹35,000 – ₹40,000 |
👉 औसत उत्पादन (50 क्विंटल × ₹2,400) = ₹1,20,000
शुद्ध मुनाफा: ₹70,000–₹80,000 प्रति हेक्टेयर
गेहूं की आधुनिक खेती तकनीक – Modern Techniques in Wheat Farming
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ज़ीरो टिलेज (Zero Tillage):
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मिट्टी की नमी बचती है, लागत घटती है।
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HD Seed Varieties का प्रयोग:
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अधिक उपज और रोग प्रतिरोधक।
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ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई:
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पानी की बचत और बेहतर वृद्धि।
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जैविक खेती (Organic Farming):
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पर्यावरण सुरक्षित और बाजार में अधिक मूल्य।
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Precision Farming:
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मिट्टी सेंसर और ड्रोन से निगरानी।
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निष्कर्ष – Conclusion
2025 में गेहूं की खेती भारतीय किसानों के लिए सबसे स्थिर और मुनाफेदार विकल्पों में से एक है।
नई किस्में, सरकारी MSP, और तकनीकी सुधारों के कारण अब किसान कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
👉 यदि किसान समय पर बुवाई, संतुलित खाद, और आधुनिक तकनीक अपनाते हैं, तो वे प्रति हेक्टेयर ₹80,000 तक का शुद्ध लाभ कमा सकते हैं।
गेहूं की खेती भारत के कृषि विकास और किसान समृद्धि की पहचान है। 🌾