आलू की खेती और मंडी भाव 2025

Aalu ki Kheti aur Bhav

आलू (Potato) भारत की सबसे ज्यादा बोई और खाई जाने वाली सब्जियों में से एक है। यह एक बहुउपयोगी फसल है जिसका प्रयोग सब्जी, स्नैक्स, फ्रेंच फ्राइज, चिप्स और प्रोसेस्ड फूड बनाने में बड़े पैमाने पर होता है।
किसानों के लिए आलू नकदी फसल (Cash Crop) बन चुका है क्योंकि इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब और मध्य प्रदेश आलू उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं।


प्रमुख आलू किस्में – Potato Varieties

भारत में कई उन्नत आलू किस्में विकसित की गई हैं, जो उच्च पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती हैं:

  • कुफरी आनंद (Kufri Anand) – जल्दी पकने वाली, 75–90 दिन में तैयार।

  • कुफरी चंद्रमुखी (Kufri Chandramukhi) – उच्च पैदावार और रोग प्रतिरोधी।

  • कुफरी सिंधुरी (Kufri Sindhuri) – लंबे समय तक भंडारण के लिए उपयुक्त।

  • कुफरी पुखराज (Kufri Pukhraj) – टेबल और चिप्स दोनों के लिए बेहतरीन।

  • कुफरी अशोका (Kufri Ashoka) – जल्दी उत्पादन और अच्छे आकार के कंद।


आलू की खेती की तैयारी – Farming Practices

1. भूमि का चयन

  • मिट्टी: दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम।

  • pH मान: 5.5 से 7.5 के बीच उपयुक्त।

2. बीज की तैयारी

  • छोटे आकार के, स्वस्थ और रोगमुक्त कंद का उपयोग करें।

  • बीज को बुआई से पहले 2–3 दिन छायादार स्थान पर सुखाएँ।

3. बुआई का समय

  • उत्तर भारत: अक्टूबर के अंत से नवंबर के मध्य।

  • दक्षिण भारत: जून–जुलाई और अक्टूबर–नवंबर।

4. बुआई की विधि

  • कतार से कतार की दूरी 60 सेमी, पौधे से पौधे की दूरी 20–25 सेमी रखें।

  • बीज की गहराई 15–20 सेमी होनी चाहिए।

5. सिंचाई

  • पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद।

  • इसके बाद हर 7–10 दिन में सिंचाई करें।

6. खाद एवं उर्वरक

  • गोबर की सड़ी खाद: 20–25 टन/हेक्टेयर

  • यूरिया: 120 किग्रा/हेक्टेयर

  • डीएपी: 250 किग्रा/हेक्टेयर

  • पोटाश: 150 किग्रा/हेक्टेयर


रोग एवं कीट प्रबंधन – Pest and Disease Management

रोग / कीट लक्षण नियंत्रण उपाय
झुलसा रोग (Blight) पत्तों पर भूरे धब्बे मेटालेक्सिल आधारित फफूंदनाशी का छिड़काव
आलू की गाँठ रोग कंद पर गाँठ जैसी संरचना रोगमुक्त बीज का उपयोग
आलू की तना मक्खी तनों में सुराख क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव
एफिड (Aphids) पत्तियों का सिकुड़ना इमिडाक्लोप्रिड का प्रयोग

पैदावार और भंडारण – Yield and Storage

  • पैदावार: सही प्रबंधन के साथ 250–300 क्विंटल/हेक्टेयर तक।

  • भंडारण: आलू को 4–6°C तापमान और 85–90% आर्द्रता पर कोल्ड स्टोरेज में 6–8 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।


आलू का मंडी भाव 2025 – Potato Price in India

जनवरी 2025 में विभिन्न राज्यों में आलू के भाव निम्नानुसार रहे:

राज्य/जिला न्यूनतम भाव (₹/क्विंटल) अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) औसत भाव (₹/क्विंटल)
आगरा (यूपी) 1200 1600 1400
पटना (बिहार) 1100 1500 1300
होशियारपुर (पंजाब) 1300 1700 1500
इंदौर (मध्य प्रदेश) 1250 1650 1450
बर्धमान (प. बंगाल) 1150 1550 1350

नोट: ये भाव मंडियों में आवक, मौसम और स्टॉक की स्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं।


आलू का व्यापार और निर्यात

  • भारत से आलू का निर्यात नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और मध्य पूर्व देशों में होता है।

  • चिप्स, फ्रेंच फ्राइज और आलू पाउडर जैसे वैल्यू-एडेड उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है।

  • भारतीय आलू व्यापार का सालाना मूल्य हजारों करोड़ रुपये तक पहुँचता है।


लागत और मुनाफा – Cost & Profit Analysis

  • लागत: 1 हेक्टेयर आलू की खेती में ₹80,000 – ₹1,00,000 तक।

  • लाभ: अच्छी उपज और सही भाव मिलने पर ₹1,50,000 – ₹2,00,000 तक शुद्ध मुनाफा संभव।


निष्कर्ष – Conclusion

आलू की खेती किसानों के लिए एक स्थायी और लाभदायक व्यवसाय है।
यदि किसान सही समय पर बुआई करें, उन्नत किस्मों का चुनाव करें और रोग प्रबंधन पर ध्यान दें, तो वे बेहतर पैदावार और मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
2025 में आलू का भाव स्थिर रहने की संभावना है, जिससे किसानों को आय का अच्छा अवसर मिलेगा।


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