आम (Mango) की खेती और मंडी भाव 2025 | Mango Farming in India

आम (Mango) भारत का राष्ट्रीय फल है, जिसे “फलों का राजा” कहा जाता है। यह स्वाद, खुशबू और पोषक तत्वों से भरपूर एक प्रसिद्ध फल है। भारत आम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जहाँ यह फसल न केवल घरेलू खपत के लिए बल्कि निर्यात के लिए भी उगाई जाती है। आम की खेती किसानों के लिए लाभदायक व्यवसाय है क्योंकि इसकी मांग पूरे वर्ष बनी रहती है और अच्छे प्रबंधन से ऊँचा मुनाफा मिलता है।


🍃 प्रमुख आम की किस्में – Mango Varieties in India

भारत में अलग-अलग राज्यों में विभिन्न जलवायु और स्वाद के अनुसार कई किस्मों की खेती की जाती है। प्रमुख किस्में हैं:

  • दशहरी (Dashehari) – उत्तरी भारत में लोकप्रिय, मीठा स्वाद और लंबा आकार।

  • लंगड़ा (Langra) – वाराणसी क्षेत्र की प्रसिद्ध किस्म, स्वादिष्ट और रसदार।

  • अल्फांसो (Alphonso / हापुस) – महाराष्ट्र और गुजरात में प्रसिद्ध, निर्यात के लिए सबसे मांग वाली किस्म।

  • तोतापुरी (Totapuri) – दक्षिण भारत में प्रमुख, प्रोसेसिंग और जूस के लिए उपयुक्त।

  • केसर (Kesar) – गुजरात की प्रसिद्ध किस्म, गाढ़े रंग और मिठास के लिए प्रसिद्ध।

  • चौसा (Chausa) – उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब में लोकप्रिय, देर से पकने वाली किस्म।


☀️ जलवायु और मिट्टी – Climate and Soil

  • जलवायु: आम गर्म और शुष्क जलवायु में बेहतर उगता है। फल आने के समय बारिश से नुकसान हो सकता है।
    उपयुक्त तापमान: 24°C से 30°C के बीच।

  • वर्षा: 75–250 सेमी तक की वार्षिक वर्षा आवश्यक होती है।

  • मिट्टी: दोमट और जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी सर्वोत्तम रहती है।
    मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।


🚜 खेत की तैयारी और पौधरोपण – Field Preparation and Planting

  1. खेत को 2–3 बार जुताई कर भुरभुरा करें।

  2. गड्ढे (1m x 1m x 1m) बनाकर 15–20 किलो गोबर की खाद मिलाएँ।

  3. पौधरोपण का उपयुक्त समय:

    • जून-जुलाई (मानसून)

    • फरवरी-मार्च (सिंचाई वाले क्षेत्र)

  4. पौधरोपण की दूरी:

    • सामान्य किस्मों के लिए 10m × 10m

    • बौनी किस्मों के लिए 5m × 5m

  5. प्रति हेक्टेयर लगभग 80–100 पौधे लगाए जाते हैं।


🌿 उर्वरक और सिंचाई प्रबंधन – Fertilizer and Irrigation

  • गोबर की खाद: 20–25 टन प्रति हेक्टेयर।

  • रासायनिक उर्वरक:

    • नत्रजन (N): 500 ग्राम/पौधा

    • फॉस्फोरस (P): 200 ग्राम/पौधा

    • पोटाश (K): 300 ग्राम/पौधा
      (मात्रा पौधे की उम्र के अनुसार बढ़ाई जाती है)

  • सिंचाई:

    • पहले 2–3 वर्षों तक हर 10–15 दिन पर सिंचाई करें।

    • फल आने के समय अधिक पानी की आवश्यकता होती है।

    • ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) से पानी की बचत और पैदावार दोनों बढ़ती है।


🐛 रोग एवं कीट प्रबंधन – Disease and Pest Control

  1. पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew): सल्फर आधारित फफूंदनाशी छिड़काव करें।

  2. एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose): फूल और फल पर काले धब्बे दिखें तो कार्बेन्डाजिम या मैनकोजेब का छिड़काव करें।

  3. फ्रूट फ्लाई (Fruit Fly): फलों को समय पर तोड़ें और फेरोमोन ट्रैप लगाएँ।

  4. लीफ हॉपर और मीलिबग: नीम तेल या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।

जैविक नियंत्रण और स्वस्थ पौध सामग्री उपयोग करने से नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकता है।


🧺 पैदावार और कटाई – Yield and Harvesting

  • आम के पौधे 4–5 वर्ष बाद फल देना शुरू करते हैं।

  • एक पेड़ से औसतन 200–300 फल प्राप्त होते हैं।

  • प्रति हेक्टेयर औसतन 8–10 टन पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

  • फलों को पूरी तरह पकने से पहले सावधानीपूर्वक तोड़ें ताकि परिवहन के दौरान नुकसान न हो।


💰 आम का व्यापार और मंडी भाव 2025 – Mango Market Price in India

भारत के प्रमुख आम उत्पादक राज्य हैं:
उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना।

👉 मंडी भाव (2025 अनुमानित दरें):

  • थोक बाजार में कीमत: ₹2500 से ₹6000 प्रति क्विंटल (किस्म और गुणवत्ता के अनुसार)

  • खुदरा बाजार में दर: ₹40 से ₹120 प्रति किलो तक (अल्फांसो, केसर जैसे प्रीमियम आम अधिक दाम पर)

👉 निर्यात:

भारत से आम का निर्यात मध्य पूर्व, यूरोप, अमेरिका और जापान जैसे देशों में होता है।
अल्फांसो और केसर किस्मों की विदेशों में सबसे अधिक मांग रहती है।


💸 लागत और मुनाफा – Cost and Profit

  • प्रति हेक्टेयर आम की बागवानी में ₹1.5 से ₹2 लाख तक की शुरुआती लागत आती है।

  • 5 वर्ष बाद फल आने पर प्रति वर्ष ₹3 से ₹4 लाख तक का शुद्ध लाभ संभव है।

  • ड्रिप इरिगेशन, जैविक खाद, और गुणवत्ता युक्त पौधे अपनाकर उत्पादन और मुनाफा दोनों बढ़ाया जा सकता है।


🔍 निष्कर्ष – Conclusion

आम की खेती भारत में लंबे समय तक लाभ देने वाला फल व्यवसाय है।
सही किस्म का चयन, संतुलित खाद, उचित सिंचाई और रोग प्रबंधन अपनाकर किसान ऊँची पैदावार व अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
2025 में आम की मंडी कीमतों में स्थिरता और मांग में निरंतर वृद्धि के कारण यह फसल किसानों के लिए सुरक्षित और लाभदायक निवेश साबित हो रही है।

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