(Ghiya) Ki Kheti aur Bhav
लोकी (Bottle Gourd), जिसे घीया, दूधी या कद्दूवर्गीय फसल के नाम से भी जाना जाता है, भारत की एक महत्वपूर्ण सब्जी फसल है। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है और इसमें विटामिन C, विटामिन B, आयरन, पोटैशियम, फाइबर और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
लोकी का उपयोग सब्जी, जूस, मिठाई, हलवा और अचार बनाने में किया जाता है। 2025 में हेल्दी डायट और लो-कैलोरी फूड की बढ़ती मांग के कारण लोकी की खेती किसानों के लिए लाभकारी विकल्प बन गई है।
लोकी की प्रमुख किस्में – Major Varieties of Bottle Gourd
किस्म का नाम | विशेषताएं | उपयुक्त क्षेत्र | औसत उपज (क्विंटल/एकड़) |
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Pusa Naveen | लंबे, चिकने फल | उत्तर भारत | 150–180 |
Pusa Summer Prolific Long | गर्मी में उपयुक्त | मध्य भारत | 140–170 |
Arka Bahar | गोल व लंबे फल | दक्षिण भारत | 130–160 |
Punjab Long | अधिक उपज, लंबी शेल्फ लाइफ | पंजाब, हरियाणा | 150–175 |
Narendra Ghiya-1 | रोग प्रतिरोधी | यूपी, बिहार | 140–165 |
लोकी की खेती कैसे करें – Loki Ki Kheti Kaise Kare
बुवाई का समय
मौसम | समय |
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खरीफ सीजन | जून – जुलाई |
रबी सीजन | जनवरी – फरवरी |
ग्रीष्म सीजन | मार्च – अप्रैल |
मिट्टी और जलवायु
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मिट्टी: बलुई दोमट, कार्बनिक पदार्थ से भरपूर
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pH: 6.0 – 7.5
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जलवायु: 25–35°C तापमान, पर्याप्त धूप आवश्यक
बीज दर और तैयारी
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बीज मात्रा: 2–2.5 किलो/एकड़
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बीज उपचार: ट्राइकोडर्मा या कार्बेन्डाजिम से उपचार
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बीज रोपाई दूरी: कतार से कतार 2.5–3 मीटर, पौधे से पौधे 1 मीटर
खाद एवं उर्वरक – Manure and Fertilizers
खाद / उर्वरक | मात्रा (प्रति एकड़) |
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गोबर खाद | 8–10 टन |
नाइट्रोजन (Urea) | 40–50 किग्रा |
फास्फोरस (DAP) | 20–25 किग्रा |
पोटाश | 20–25 किग्रा |
नोट: जैविक खेती में वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली और जीवामृत का प्रयोग करें।
सिंचाई प्रबंधन – Irrigation Management
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पहली सिंचाई: बुवाई के तुरंत बाद
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अंतराल: 6–8 दिन (गर्मी में) और 10–12 दिन (सर्दी में)
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बेल के फैलाव के समय पर्याप्त नमी बनाए रखें
फसल कटाई, उत्पादन और भंडारण – Harvesting & Storage
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पहली तुड़ाई: बुवाई के 55–60 दिन बाद
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तोड़ाई का अंतराल: 3–4 दिन
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औसत उपज:
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पारंपरिक खेती: 130–150 क्विंटल/एकड़
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उन्नत तकनीक: 150–180 क्विंटल/एकड़
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भंडारण:
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कमरे के तापमान पर 3–4 दिन
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ठंडे स्थान पर 7–8 दिन तक ताजा
लागत, उत्पादन और मुनाफा – Loki Ki Kheti Me Munafa
विवरण | अनुमानित खर्च (₹/एकड़) |
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बीज लागत | ₹1,000 – ₹1,200 |
खाद व उर्वरक | ₹4,000 – ₹5,000 |
सिंचाई, मजदूरी | ₹6,000 – ₹7,000 |
कुल लागत | ₹12,000 – ₹14,000 |
औसत उपज | 150 क्विंटल (₹1,200/क्विंटल) |
कुल बिक्री मूल्य | ₹1,80,000 तक |
शुद्ध मुनाफा | ₹1,60,000 – ₹1,65,000 प्रति एकड़ |
2025 का मंडी भाव – Loki Mandi Bhav 2025
मंडी | न्यूनतम भाव (₹/क्विंटल) | अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) |
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दिल्ली | ₹1,000 | ₹1,800 |
जयपुर (RJ) | ₹900 | ₹1,700 |
इंदौर (MP) | ₹1,000 | ₹1,750 |
लखनऊ (UP) | ₹950 | ₹1,650 |
पुणे (MH) | ₹1,050 | ₹1,800 |
📌 औसत भाव: ₹1,200 – ₹1,600/क्विंटल
निर्यात और व्यापार – Loki Export and Business Scope
प्रमुख निर्यात देश
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UAE
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कतर
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नेपाल
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बांग्लादेश
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श्रीलंका
व्यापारिक सुझाव
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ऑर्गेनिक लोकी की खेती करें
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लोकी का जूस, प्यूरी, पाउडर जैसे उत्पाद बनाएं
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स्थानीय मंडियों के साथ-साथ eNAM प्लेटफॉर्म से जुड़ें
मूल्य वर्धित उत्पाद – Value-Added Products from Bottle Gourd
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लोकी का जूस
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लोकी का हलवा
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लोकी का पाउडर
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लोकी का अचार
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लोकी का मुरब्बा
उपयोगी पोर्टल और ऐप्स – Useful Portals and Apps
ऐप / पोर्टल | उद्देश्य |
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Kisan Suvidha | मौसम और मंडी भाव |
eNAM | डिजिटल मंडी |
PM Fasal Bima | बीमा योजना |
AgriApp | तकनीकी जानकारी |
Krishi Network | विशेषज्ञ सलाह |
निष्कर्ष – Conclusion
लोकी की खेती 2025 में किसानों के लिए कम लागत और ज्यादा मुनाफे का जरिया बन चुकी है। यह तेजी से बढ़ने वाली फसल है जो कम समय में बाजार में बिकने लगती है। हेल्दी फूड ट्रेंड, प्रोसेसिंग यूनिट्स और निर्यात की संभावनाओं ने लोकी को एक लाभकारी सब्जी फसल बना दिया है।