प्याज की खेती और मंडी भाव 2025

प्याज (Onion) भारत की सबसे महत्वपूर्ण सब्जियों में से एक है। यह न केवल रसोई का अहम हिस्सा है बल्कि किसानों के लिए नकदी फसल (Cash Crop) के रूप में भी जानी जाती है। प्याज की मांग पूरे साल बनी रहती है और इसका उपयोग सब्ज़ी, सलाद, मसाला, पेस्ट, अचार और प्रोसेस्ड फूड बनाने में बड़े पैमाने पर होता है।
भारत प्याज उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान रखता है, जहाँ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान और बिहार प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।


प्रमुख प्याज किस्में – Onion Varieties

भारत में प्याज की कई उन्नत किस्में बोई जाती हैं। कुछ लोकप्रिय किस्में निम्न हैं:

  • नासिक रेड (Nasik Red) – उच्च पैदावार, लंबी शेल्फ लाइफ।

  • अग्रेड किस्में (Agrifound Light Red, Agrifound Dark Red) – रोग प्रतिरोधी, बाजार में पसंद।

  • प्याज पोना 53 (Puna Fursungi 53) – गर्मी की फसल के लिए उपयुक्त।

  • NHRDF Red-2 और Red-3 – निर्यात गुणवत्ता की प्याज।

  • Bhima Super और Bhima Red – समान आकार और चमकदार लाल रंग के बल्ब।


प्याज की खेती की तैयारी – Farming Practices

1. भूमि का चयन

  • अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट या दोमट मिट्टी उपयुक्त है।

  • मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

2. बीज और रोपाई

  • स्वस्थ और रोगमुक्त बीज का चयन करें।

  • नर्सरी में 45–50 दिन पौध तैयार कर मुख्य खेत में रोपाई करें।

3. बुआई का समय

  • रबी सीजन (उत्तर भारत): अक्टूबर–दिसंबर

  • खरीफ सीजन (दक्षिण भारत): जून–जुलाई

  • लेट खरीफ: अगस्त–सितंबर

4. रोपाई की दूरी

  • पौधे से पौधे की दूरी 10–15 सेमी रखें।

  • कतार से कतार की दूरी 20–25 सेमी रखें।

5. सिंचाई

  • प्याज में अत्यधिक पानी नहीं देना चाहिए।

  • 7–10 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें।

6. खाद एवं उर्वरक

  • गोबर की सड़ी खाद: 20–25 टन/हेक्टेयर

  • यूरिया: 100 किग्रा/हेक्टेयर

  • डीएपी: 200 किग्रा/हेक्टेयर

  • पोटाश: 100–120 किग्रा/हेक्टेयर


रोग एवं कीट प्रबंधन – Pest and Disease Management

रोग / कीट लक्षण नियंत्रण उपाय
पर्पल ब्लॉच पत्तियों पर बैंगनी धब्बे मैनेकोज़ेब या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव
थ्रिप्स (Thrips) पत्तियों का मुड़ना और झुलसना इमिडाक्लोप्रिड या स्पिनोसेड का प्रयोग
डाउन माइल्ड्यू पत्तियों पर फफूंद की परत मैटलाक्सिल आधारित फफूंदनाशी
कटवर्म (Cutworm) पौध कट जाना क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव

पैदावार और भंडारण – Yield and Storage

  • पैदावार: अच्छी खेती में 200–250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।

  • भंडारण: प्याज को हवादार गोदामों या शेड में 3–4 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। ठंडे और सूखे स्थान पर रखने से अंकुरण और सड़न कम होती है।


प्याज का मंडी भाव 2025 – Onion Price in India

जनवरी 2025 में औसतन प्याज के मंडी भाव इस प्रकार रहे (राज्य व मौसम के आधार पर भाव बदल सकते हैं):

राज्य/जिला न्यूनतम भाव (₹/क्विंटल) अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) औसत भाव (₹/क्विंटल)
नासिक (महाराष्ट्र) 1300 1800 1500
इंदौर (मध्य प्रदेश) 1200 1700 1400
अलवर (राजस्थान) 1250 1750 1450
धारवाड़ (कर्नाटक) 1150 1650 1350
पटना (बिहार) 1100 1600 1300

नोट: मंडियों में आवक, मौसम और स्टॉक की स्थिति के अनुसार भाव बदलते रहते हैं।


प्याज का व्यापार और निर्यात

भारत से प्याज का निर्यात बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, यूएई, नेपाल और सऊदी अरब जैसे देशों में किया जाता है।

  • प्रोसेस्ड प्याज, डिहाइड्रेटेड प्याज फ्लेक्स और प्याज पाउडर की मांग तेजी से बढ़ रही है।

  • भारत में प्याज व्यापार का सालाना मूल्य हजारों करोड़ रुपये तक पहुँचता है।


लागत और मुनाफा – Cost & Profit Analysis

  • लागत: 1 हेक्टेयर प्याज की खेती पर ₹60,000 – ₹80,000 तक लागत आती है।

  • लाभ: उचित प्रबंधन और अच्छे भाव मिलने पर ₹1,20,000 – ₹1,80,000 तक शुद्ध लाभ संभव है।


निष्कर्ष – Conclusion

प्याज की खेती किसानों के लिए एक स्थायी और लाभकारी व्यवसाय है। यदि किसान सही समय पर बुआई करें, उन्नत किस्में अपनाएँ और रोग प्रबंधन पर ध्यान दें, तो वे अधिक पैदावार और बेहतर मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
2025 में प्याज का भाव स्थिर रहने की संभावना है, जिससे किसानों को उचित आय मिल सकती है।

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